अलग-थलग करने की तैयारी : उपेन्द्र कुशवाहा के नजदीकियों से मिले ललन सिंह..नीतीश ने कहा JDU को नहीं..बल्कि फैसला उनको लेना है...


patna:-19-20 फरवरी को अलग से बैठक बुलाये जाने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा को जेडीयू अलग-थलग करने के अभियान में जुट गई है..उपेन्द्र कुशवाहा के नजदीकी नेताओं को पार्टी दफ्तर बुलाकर पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह खुद मुलाकात कर रहें हैं ..वहीं सीएम नीतीश कुमार ने साफ -साफ कह दिया है कि अब पार्टी कुछ नहीं करने वाली है..बल्कि फैसला उनको यानी उपेन्द्र कुशवाहा को लेना है..उनको जहां जब मन करें .चलें जाएं..उनके जाने से पार्टी को किसी तरह का फर्क नहीं पड़ने वाला है.
समाधान यात्रा पर बांका में पहुंचे नीतीश कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने उन्हें विधायक दल का नेता और राज्यसभा भेजा,पर वे पार्टी छोड़कर दो बार चले गए..वे तीसरी बार हमारे साथ आये तो हमने उनका स्वागत किया..पर हमारे इधर यानी आरजेडी के साथ आ जाने से पता नहीं उन्हें क्या दिक्कत हो गई..अगर वे सचमुच में पार्टी के लिए बेहतरी चाहते तो पार्टी फोरम पर कुछ बोलते पर उन्हौने बाहर बोलना शुरू कर दिया..यानी वे पार्टी के लिए नहीं बल्कि किसी दूसरे के लिए बोल रहें हैं और प्रचार पा रहे हैं.नीतीश कुमार ने कहा कि पार्टी में रहने या नहीं रहने का फैसला अब उनको लेना है.पार्टी अध्यक्ष और हमने सबकों कह दिया है कि उनके बारे में कोई कुछ नहीं बोलेगा..उनको जब जाना है ..जाएं..पार्टी कुछ नहीं करने वाली है
.वहीं वहीं उपेन्द्र कुशवाहा के अपने समर्थकों के 19-20 फरवरी को अलग से बैठक बुलाये जाने के बाद जेडीयू अलर्ट मोड में आ गई है. जनता दल यू ऑफिस में उपेंद्र कुशवाहा के नजदीकी लोगों को बुलाया जा रहा है. गोह के पूर्व विधायक रणविजय सिंह भी पार्टी कार्यालय पहुंचे और राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से मुलाकात की.बाद में उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हम तो चाहते हैं कि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी में रहे और पार्टी मजबूत हो.हम दोनों के पक्ष में हैं. वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या उपेंद्र कुशवाहा के द्वारा बुलाए गए मीटिंग में अब जाएंगे ..तो उन्होंने कहा यह तो भविष्य बात है. रणविजय सिंह के साथ ही उपेन्द्र कुशवाहा के कई अन्य नजदीकी साथी को आलाकमान ने पार्टी दफ्तर बुलाया है..यानी जेडीयू की कोशिश है कि उपेन्द्र कुशवाहा की बुलाई बैठक में पार्टी का कोई बड़ा नेता नहीं जाए..और वे अलग थलग होकर खुद ही पार्टी छोड़कर चलें जाएं.अब देखना है कि उपेन्द्र कुशवाहा इसका क्या काट निकालतें हैं..