बिहार में ‘समाज सुधार’, झारखंड में ‘शराब की बहार’ : बिहार में शराब के खिलाफ समाज सुधार पर ‘सरकार’, झारखंड में शराब का कारोबार बढ़ाएगी सरकार

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"शराब पीने देमस्जिद मेंबैठ कर, या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"

मिर्जा गालिब का ये मशहूर शेर है। इस सवाल का जवाब भले ही मिर्जा गालिब को ना मिला हो। लेकिन ये सवाल आज भी मौजूं हैं दो पड़ोसी राज्य बिहार और झारखंड की दो अलग-अलग तस्वीरों को लेकर। बस सवाल में मस्जिद की जगह बिहार या झारखंड रख सकते हैं और खुदा की जगह सियासतदां रख सकते हैं। अगर पीने का सवाल पूछेंगे बिहार में तो उसका जवाब तल्ख लहजे में मिलेगा शराब पीओगे तो मरोगे, और अगर पीने का सवाल सवाल झारखंड में पूछेंगे तो उसका जवाब मिलेगा शराब पीओगे तो राज्य का राजस्व बढ़ेगी। जी हां 22 साल पहले तक जो बिहार और झारखंड एक हुआ करता था, वो आज अलग होकर भी भले ही पड़ोसी हों, लेकिन शराब पीने के नुकसान, पाबंदियां, बिक्री और शराब की नीति पर मानो दो ग्रहों के बीच की दूरी हो गई हो।

एक तरफ शराब के खिलाफ प्रहार के लिए ड्रोन से लेकर हेलीकॉप्टर तक लगा दिए गए हैं। दूसरी तरफ झारखंड में शराब की और बहार लाने के लिए सरकार अब खुद शराब बेचने की तैयारी में है। बिहार में शराब की एक बूंद भी कहीं ना मिले, शराब का कोई धंधा ना हो। इसके लिए सरकार ने पूरी मशीनरी झोंक दी है। स्वान दस्ता से लेकर आतंकवाद निरोधक दस्ता तक। ड्रोन से लेकर हेलीकॉप्टर तक। सबकुछ शराब के खिलाफ अभियान में लगाया गया है। शराब के खिलाफ हेलिकॉप्टर से दियारा इलाके में ऑपरेशन चलाया जा रहा हैै। इस हेलिकॉप्टर से गंगा नदी को बक्सर से कटिहार तक निरंतर सर्विलान्स और मॉनिटरिंग किया जायेगा। इस आधुनिक हेलिकॉप्टर के साथ-साथ ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यह हेलीकाप्टर दिन में छह से साथ घंटे तक लगातार ऑपरेशन कर सकता है। मतलब शराब के खिलाफ बिहार में एक तरह वॉर लेवल पर अभियान चलाया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सरकार के मुखिया नीतीश कुमार खुद पूरे बिहार में घूम-घूमकर शराबबंदी को सफल बनाने के लिए समाज सुधार पर निकले हैं। इसी कड़ी में बुधवार को नीतीश कुमार जमुई में थे। लेकिन जिस जमुई में सीएम नीतीश जिस शराब के नुकसान गिना रहे थे और शराबबंदी के फायदे गिना रहे थे। उस जमुई से महज 80 किलोमीटर की दूरी वाले झारखंड में उसी शराब की बिक्री बढ़ाने और उससे और ज्यादा राजस्व कमाने की तैयारी हो रही है।

झारखंड में शराब की खरीद-बिक्री में छत्तीसगढ़ मॉडल लागू होगा। नई शराब नीति पर मद्य निषेध मंत्री ने सहमति दे दी है। इसे अब कैबिनेट की बैठक में लाया जाएगा। नई शराब नीति के मुताबिक शराब की थोक व खुदरा बिक्री को राज्य सरकार अपने हाथों में ले सकती है। प्रस्तावित नई शराब नीति में शराब से राजस्व बढ़ाने संबंधित प्लान हैं।शराब की ज्यादा से ज्यादा बिक्री करने को लेकर प्लान है।नई उत्पाद नीति के मुताबिक अब एक ही निजी एजेंसी पूरे राज्य में शराब की दुकानें खोलेगी। पांचों प्रमंडलों में उसका अपना गोदाम होगा। एजेंसी खुद शराब मंगाएगी और बेचेगी। दुकान में एजेंसी के ही लोग काम करेंगे। ये एजेंसी सरकार के नियंत्रण में काम करेगी। अभी निजी दुकानदार परमिट के माध्यम से शराब मंगाते हैं।नई शराब नीति में कैंपस सेल पर जोर दिया गया है। इसमें शराब खरीदने वालों के लिए पीने का स्थान भी उपलब्ध कराने का प्रावधान है। नीति मेंपांचों प्रमंडल में शराब के लिए पांच गोदाम बनाने की सलाह है। झारखंड में शराब से1900 करोड़ का राजस्व मिलता है। नई शराब नीति से राजस्व को2500 करोड़ रुपए तक ले जाने का टारगेट है।कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधेयक को विधानसभा से भी पास कराना होगा। जिसके बाद 1 अप्रैल से नई नीति लागू हो सकती है।

मतलब बिहार में जो शराब खराब है। वही शराब झारखंड में राजस्व बढ़ाने का सुनहरी ख्वाब है। बिहार में दारु बदनाम है, झारखंड और ज्यादा जाम छलकाने की तैयारी है। बिहार में शराबबंदी है और झारखंड में सरकार शराब बेचने की तैयारी में है। इस सवाल पर झारखंड के मद्य निषेध मंत्री बिहार में शराबबंदी पर तंज कसते हैं और बिहार का मद्य निषेध विभाग का जिम्मा भी सौंपने के लिए कहते हैं।

साफ है शराब को लेकर दो पड़ोसी राज्यों में अलग-अलग नीति के अपने-अपने कारण हो सकते हैं। लेकिन सवाल है कि एक राज्य में सरकार शराबबंदी के लिए मशीनरी झोंके और दूसरे राज्य में सरकार शराब बेचने के लिए मशीनरी झोंके। तो जनता क्या समझेगी?



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