‘पांडेय’ और ‘रिजवी’ देखकर होती है सियासत! : नाम था रुपेश पांडेय तो झारखंड में बीजेपी की सियासत, नाम था खलील रिज़वी तो बिहार में विपक्ष की सियासत

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झारखंड के हजारीबाग में रुपेश पांडेय की 6 फरवरी को सरस्वती विसर्जन के दौरान हत्या हुई तो बिहार के समस्तीपुर में 17 फरवरी को खलील रिजवी की अपहरण के बाद बेरहमी से हत्या कर शव को जलाकर फेंक दिया गया। दोनो ही घटनाएं हत्या की हैं और दोनो ही मामलों में पुलिस अपना काम कर रही है। लेकिन दोनो ही घटनाओं में मरने वालों के नाम और हत्या के आरोपियों के नाम के हिसाब से सियासत शुरु हो गई और मॉब लिचिंग से लेकर सांप्रदायिकता का एंगल दिया जाने लगा। क्योंकि नेताओं को सियासी रोटी सेंकने के लिए नाम में बहुत कुछ रखा है। बारी-बारी से देखते जाइए दोनो मामलों को। पहले जानिए समस्तीपुर में खलील रिजवी की हत्या और सियासत को।

नाम- खलील रिज़वी,JDUनेता

17 फरवरी को अपहरण के बाद हत्या

हत्या के सभी आरोपी गिरफ्तार

पुलिस का दावा- बकाया पैसे को लेकर हत्या

विपक्ष के आरोप- गाय के नाम पर की गई हत्या

समस्तीपुर में JDU नेता खलील रिजवी की हत्या 17 फरवरी को अपहरण के बाद हत्या की गई। खलील रिजवी के परिजन बकाए पैसे और पैसे के लेनदेन के विवाद की बात कहते रहे। पुलिस भी बकाए पैसे के कारण हत्या की बात कहती रही और आरोपियों को गिरफ्तार किया। लेकिन एक वायरल वीडियो के आधार पर विपक्ष ने इसे मॉब लिंचिंग और गाय के नाम पर हत्या कहकर सांप्रदायिकता से जोड़ना शुरु कर दिया।

आरजेडी ने अपने ट्विटर हैंडल से वायरल वीडियो को ट्वीट करते हुए गाय के नाम पर हत्या से जोड़कर सरकार पर हमला किया। वहीं विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से लेकर AIMIM के नेता ने भी इसे मॉब लिंचिंग और सांप्रदायिकता से जोड़कर सरकार से सवाल पूछा। सवाल का जवाब सीएम नीतीश ने भी दिया और घटना में कड़ी कार्रवाई का ब्योरा देते हुए इसे सांप्रदायिकता से जोड़ने की बात को गलत बताया। यानी नाम खलील रिज़वी था तो बिहार में विपक्ष ने सियासी रोटी सेंकना शुरु कर दिया। अब जान लीजिए हजारीबाग में रुपेश पांडेय की हत्या और सियासत को।

नाम- रुपेश पांडेय

6 फरवरी को हत्या

5 आरोपी गिरफ्तार, 27 पर मामला दर्ज

पुलिस का दावा- आपसी रंजिश में हुई हत्या

विपक्ष के आरोप- सरस्वती विसर्जन विवाद में हत्या

हजारीबाग में 6 फरवरी को रुपेश पांडेय की हत्या हुई, तब सरस्वती विसर्जन का दिन था। रुपेश की हत्या के बाद तुरंत इस हत्या को सांप्रदायिकता का रंग दिया जाने लगा। इलाके में तनाव हुआ। कई जगहों पर हंगामा और बवाल हुआ और प्रशासन को धारा 144 लागू करनी पड़ी।पुलिस के मुताबिक रितेश पांडे के साथ मारपीट गई की गई थी. इसकी वजह से उसकी मौत हो गई. और घटना का सरस्वती पूजा विसर्जन से कोई लेना देना नहीं है। वहीं मामले में अब तक5 लोगों की गिरफ्तारी की जा चुकी है और 27 लोगों को नामजद किया गया है। हालांकि बीजेपी ने इसे मॉब लिचिंग और सांप्रदायकिता के एंगल से जोड़ते हुए सियासत शुरु कर दी। पूर्व सीएम रघुवर दास, बाबूलाल मरांडी, दीपक प्रकाश जैसे नेता पीड़ित के घर पहुंचे और जमकर सरकार पर हमला बोला। वहीं दूसरी तरफ 28 फरवरी को रांची में रितेश पांडेय के परिजनों ने सीएम हेमंत सोरेन से मिलकर इंसाफ की मांग की, जिस पर सीएम ने कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है।

रुपेश पांडेय हो या खलील रिजवी, हत्या किसी की भी जघन्य अपराध है और अगर मॉब लिचिंग है तो इससे भी ज्यादा जघन्य लेकिन सवाल है किलेकिन झारखंड में रुपेश पांडेय पर आरजेडी-कांग्रेस की चुप्पी है और खलील रिजवी पर सवाल। बिहार में खलील रिजवी पर बीजेपी की चुप्पी है, झारखंड में रुपेश पांडेय के सवाल। हर बार सियासतदां नाम और सरनेम देखकर ऐसी घटनाओं में सियासत क्यों करते हैंमॉब लिचिंग या हत्या के ज़रिए वोटबैंक की सियासत क्यों?



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