पितृपक्ष महासंगम.. : देशभर से आए तीर्थयात्री गयाजी में पितरों के लिए मोक्ष की कामना के साथ कर रहें हैं पिंडदान..
गया:-मोक्षधाम के रूप में प्रसिद्ध धार्मिक नगरी गयाजी में आज से पिंडदान कर्मकांड की प्रक्रिया शुरू हो गई है. देश-विदेश से आने वाले तीर्थयात्रियों के द्वारा फल्गु नदी स्थित देवघाट सहित अन्य पिंडवेदियों पर पिंडदान की प्रक्रिया की जा रही हैं. पूरे विधि विधान से स्थानीय पंडा समाज के द्वारा पिंडदान कर्मकांड को संपन्न कराया जा रहा है.इस बार तीर्थयात्री फल्गु नदी के बहते जल को देखकर गदगद है. बिहार सरकार के द्वारा इस बार तीर्थ यात्रियों के मद्देनजर रबर डैम का निर्माण कराया गया है.जिसे गयाजी डैम का नाम दिया गया है.इस कारण देवघाट सहित फल्गु नदी में लबालब पानी भरा हुआ है. पहले सुखी फल्गु नदी में बालू खोदकर जैसे-तैसे जल की व्यवस्था कर पिंडदान किया जाता था,लेकिन इस बार बेहतर साफ-सफाई और फल्गु नदी में बहते जल को देखकर तीर्थयात्री गदगद हैं.यहां अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं.
वहीं उत्तरप्रदेश के जलालाबाद से पिंडदान करने आए अखिलेश गुप्ता ने बताया कि अपने बड़े भाई का पिंडदान करने के लिए गया जी पहुंचे हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. स्वयं भगवान श्रीराम भी वनवास से लौटने के बाद गयाजी में माता सीता के साथ अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान किये थे. इस बार फल्गु नदी में बहते जल को देखकर काफी अच्छा लग रहा है. इससे पहले जब पिंडदान करने आते थे, तो नदी सूखी रहती थी. जिस कारण पिंडदान करने में परेशानी होती थी. ऐसा कहा जाता है कि पिंडदान के दौरान फल्गु नदी के जल में स्नान करना चाहिए,लेकिन नदी में जल नहीं रहता था. इस बार नदी में काफी अच्छा पानी है. इसमें स्नान कर अच्छा लगा. सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है. साफ-सफाई की भी घाटों पर अच्छी व्यवस्था की गई है. इसके लिए हम नीतीश सरकार को धन्यवाद देते हैं.
मध्यप्रदेश के सतना से आए पिंडदानी प्रकाश जायसवाल ने कहा कि अपने माता-पिता का पिंडदान करने आए हैं. फल्गु नदी के जल को देखकर बहुत अच्छा लग रहा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पिंडदान करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. यहां पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इसी कामना के साथ अपने अन्य परिजनों के साथ यहां पहुंचे हैं. इस बार यहां बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है. फल्गु नदी में जल से लेकर साफ-सफाई की भी बेहतर व्यवस्था है. यहां आकर काफी अच्छा लगा है.
वहीं स्थानीय पंडा श्रवण पाठक ने बताया कि गयाजी में 15 दिनों तक चलने वाला श्राद्ध कर्मकांड आज से शुरू हो गया है. आज के दिन श्राद्ध कर्मकांड करने का विशेष महत्व है. प्रथम दिन पुनपुन में श्राद्ध कर्मकांड किया जाता है. कई राज्यों के तीर्थयात्री गयाजी पहुंच चुके हैं और श्राद्ध कर्मकांड कर रहे हैं. गया में भगवान विष्णु का चरणचिन्ह है. जहां पिंड अर्पित करने से पितरों को सद्गति की प्राप्ति होती है. इन 15 दिनों में पितर भी गयाजी में आ जाते हैं और अपने बच्चों से आशा रखते हैं कि वे पिंडदान देंगे.
पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. यही वजह है कि गयाजी में पिंडदान को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. इस बार सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है. रबर डैम बन जाने से फल्गु नदी में पर्याप्त जल है. पहले जल ना रहने से पिंडदानी काफी निराश होते थे. लेकिन इस बार जल रहने से तर्पण कर्मकांड करने में सहूलियत हो रही है. पूरे विधि विधान के साथ पिंडदान कर्मकांड संपन्न कराया जा रहा है. कहीं किसी प्रकार की समस्या नहीं है. माता सीता के श्राप के कारण फल्गु नदी सूखी रहती थी. लेकिन पितरों के आशीर्वाद के कारण और बिहार सरकार के प्रयास से अब फल्गु नदी अन्तःसलिला से सतःसलिला बन गई है.