Bihar : 30 साल नौकरी के बाद शुरू किया स्टार्टअप, हो रही छप्परफाड़ कमाई, कई लोगों को दिया रोजगार, छात्रों और युवाओं के बने प्रेरणास्रोत
GAYA : जिले के डोभी प्रखंड के बहेरा गांव निवासी इकबाल खान ने एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद लगभग 30 सालों तक विदेश में नौकरी की. 30 सालों तक नौकरी करने के बाद उन्हें अपने वतन की याद आई. वतन की मोहब्बत ने उन्हें वापस बुला लिया. इसके बाद उन्होंने कुछ ऐसा व्यापार करने का सोचा, जिससे रुपये तो कमाए ही साथ ही लोगों को नौकरी भी दी जाए.
इस सोच के साथ इकबाल खान ने अपने दोस्त दीपक चड्ढा के साथ मिलकर 9 गायों से अपनी ITD lacto and Pvt. Ltd. के नाम से स्टार्टअप शुरू की. महज ढाई सालो में उनके पास 50 गाय है. आज इनकी अच्छी आय हो रही हैं. इन्होंने कई महंगी प्रजातियों के गायों को खरीदा, साथ ही गायों की साफ-सफाई का खास ध्यान भी रखा.
Hygenic तरीके से मशीन द्वारा गायों का दूध निकाला जाता हैं. साथ ही शीशे के बोतल को मशीन द्वारा साफ कर दूध पैक कर ग्राहकों के घरों तक पहुंचाया जाता हैं. उनके इस कार्य से प्रभावित होकर सेंट्रल यूनिवर्सिटी आफ साउथ बिहार के डेयरी साइंस के छात्र भी उनके फार्म हाउस पर पहुंचे और गायों के रखरखाव, दूध की पैकिंग से लेकर कई तरह की जानकारियां ली. बच्चे यहां काफी प्रभावित हुए.
इन छात्रों में बिहार के विभिन्न जिलों के अलावा पश्चिम बंगाल, राजस्थान, झारखंड, उत्तरप्रदेश, केरल आदि राज्यों के बच्चे शामिल थे. जिज्ञासा वश छात्रों ने कई सवाल इकबाल खान से किया. जिसका उन्होंने बड़े ही सलीखे से विस्तृत रूप से जवाब दिया.
वहीं, इकबाल खान बताते हैं कि आज के मिलावट के दौर में वे और उनके पार्टनर दीपक ने यह निर्णय लिया है कि गयावासियों को शुद्ध दूध सहित दूध के बने अन्य प्रोडक्ट उपलब्ध कराया जाए, जिससे लोगों को शुद्ध प्रोडक्ट मिल सके और उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो. इसके अलावा स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, यही हमारी सोच है. आज आसपास के कई किसान हमसे जुड़कर कार्य कर रहे हैं, जिससे उनको फायदा भी हो रहा है.
गायों के चारा को लेकर किसानों को प्रशिक्षित भी कर रहे हैं ताकि किसानों द्वारा उपजाया हुआ फसल गायों को चारा के रूप में मिले और स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हो. लोगों को रोजगार मिले यही हमारी सोच है. इन गायों के दूध से घी, खोवा, मिठाइयां समेत कई तरह के प्रोडक्ट बनाये जाते हैं. इसके अलावा जैविक खेती भी की जाती हैं.