पितृपक्ष महासंगम : नीदरलैंड से आये विदेशी तीर्थयात्रियों ने गयाजी में किया पिंडदान और तर्पण..

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FOREIGNERS NE GAYAJE ME KIYA PINDDAN. FOREIGNERS NE GAYAJE ME KIYA PINDDAN.

पितृपक्ष महासंगम के दौरान देश के विभिन्न राज्यों से आए लाखों तीर्थयात्रियों के साथ ही 4 विदेशी श्रद्धालुओं का दल गयाजी पहुंचा और अपने पितरों की मोक्ष की कामना हेतु पिंडदान कर्मकांड किया. ये चारों श्रद्धालु हॉलेंड (नीदरलैंड) से गयाजी पहुंचे और सभी ने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मोक्ष प्राप्ति के लिए विष्णुपद मंदिर स्थित देवघाट पर पिंडदान किया. इनमें 3 महिला संद्रावत, लीलावती, मिनाकोमरी और एक पुरुष चंद्रेकोमार शामिल है. सभी ने वैदिक मंत्रोच्चार कर अपने पितृदोष से मुक्ति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया. इन श्रद्धालुओं को स्थानीय पंडा ने पूरे विधि विधान से पिंडदान कर्मकांडों को पूरा कराया.

इसमौकेपरनीदरलैंडसेआईश्रद्धालुमिनाकोमरीनेकहाकिमैंयहांपितृदोषसेमुक्तिकेलिएपिंडदानकरनेआईहूं.गयाजीमेंपूर्वजोंकोलेकरहोनेवालेइसअनुष्ठानकेबारेमेंमैंनेइंटरनेटकेमाध्यमसेपढ़ाथा.जिससेयहांआनेकेलिएप्रेरितहुईं.पिंडदानकरनेकेबादमुझेअलगहीअनुभूतिमहसूसहुई.घरमेंकुछभीठीकनहींचलरहाथा.इसलिएअपनेइसपितृदोषसेछुटकारापानेकेलिएयहांआयीहूं.उन्होंनेयहभीबतायाकिपितृपक्षमेलामेंयहांप्रशासनकेद्वाराअच्छीव्यवस्थाकीगईहै.स्थानीयपंडालकेद्वाराबताएगएपूरेविधिविधानकेसाथपिंडदानकर्मकांडकीहूं.

बताते चलें कि भारतीय संस्कृति में मृत्यु में बाद आत्मा को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान करने की पौराणिक परम्परा रही है. बिहार के ‘गयाजी' को देश-विदेश में मोक्ष धाम के रूप में जाना जाता है. पिंडदान कर्मकांड के करने के लिए गयाजी को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. वैसे तो पूरे साल गया में पिंडदान किया जाता है. लेकिन आश्विन मास के दौरान प्रतिवर्ष पड़ने वाले ‘पितृपक्ष’ के मौके पर पिंडदान का विशेष महत्व है. इस दौरान देश-विदेश से भी पिंडदानी अपने पितरों की मोक्ष की आत्मा की शांति के लिए गयाजी आते हैं और विभिन्न पिंडवेदियों पर पिंडदान करते हैं.


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