भारतीय संस्कृति में आस्था : पितृपक्ष मेला में विदेशों से आये तीर्थयात्री गयाजी में कर रहे हैं पिंडदान और तर्पण
GAYA:- सनातन धर्मावलंबियों के लिए प्रसिद्ध गयाजी शहर में इन दोनों पितृपक्ष मेला चल रहा है, जहां देश-विदेश से आए लाखों की संख्या में श्रद्धालु पिंडदान कर रहे हैं. वहीं पिंडदान की परंपरा अब दूसरे देशों से आए श्रद्धालु भी अपना रहे हैं, इसी क्रम में आज जर्मनी से 12 की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने पिंडदान कर्मकांड किया. शहर के फल्गु नदी के तट पर स्थित देवघाट पर पूरे विधि-विधान के साथ पुरोहित लोकनाथ गौड़ के द्वारा पिंडदान कर्मकांड करवाया गया. इन 12 श्रद्धालुओं में एक पुरुष भी शामिल है, जबकि 11 महिलाएं शामिल हैं.
इस संबंध में जर्मन देश से आई महिआ एलिसेंटरा ने बताया कि वह पहली बार भारत देश आई है. गया के पिंडदान कर्मकांड के बारे में काफी कुछ सुना था, जिससे प्रभावित होकर अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए यहां आई हूं. हमारे साथ और भी कई लोग यहां पहुंचे हैं, जो अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर्मकांड कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में यह बहुत ही पवित्र माना जाता है और यहां पिंडदान करके बहुत अच्छा लगा. यहां के लोग भी काफी अच्छे हैं और यहां व्यवस्था भी बहुत अच्छी है. यह हमारे लिए एक यादगार पल है. यहां आकर जो अनुभूति हुई है, उसे हम कभी नहीं भूल सकते. इसके पहले यूक्रेन देश से आई एक महिला ने भी यहां पिंडदान कर्मकांड किया है. भारतीय परंपरा हमें काफी अच्छी लग रही है.
वहीं पिंडदान कराने वाले पुरोहित लोकनाथ गौड़ ने बताया कि भारत के अलावा अब दूसरे देश में भी लोग पिंडदान के बारे में रुचि ले रहे हैं, यही वजह है कि आज जर्मनी से आए 12 श्रद्धालुओं ने अपने पितरों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान कर्मकांड किया है. साथ ही फल्गु नदी के जल से तर्पण किया है. इसके पहले यूक्रेन से आई एक महिला ने भी अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में और भी विदेशी मेहमान यहां पिंडदान करने आएंगे. इससे पहले रूस देश से आए कई श्रद्धालुओं ने भी पिंडदान किया है. पिंडदान की परंपरा अब दूसरे देशों में भी पसंद की जा रही है.