मरवौ रे सुगवा धनुष से.... : छठ गीतों से छाई भक्ति की बयार, व्रतियों ने बताई महापर्व की महिमा
बेगूसराय : लोक आस्था के महापर्व छठ के आगमन के साथ ही पूरे बिहार में छठ से जुड़े लोकगीत लोग गुनगुनाने लगे हैं। आधुनिकता और डिजिटल क्रांति के बावजूद भी लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर ना ही परंपराओं में कोई बदलाव हुआ, ना ही लोगों की आस्था कम हुई। यही वजह है की सैकड़ो वर्षों से जिस आस्था और विश्वास से लोग लोक आस्था का महापर्व छठ मानते आए हैं उसी आस्था का सैलाब एक बार फिर हिलकोरे ले रहा है।
खास तौर पर छठ में बांस के बने सूप का काफी महत्व माना जाता है ,ऐसे में वर्षों से बेगूसराय में पारंपरिक सूप बनाने वाले मल्लिक समुदाय के लोग काफी उत्साहित हैं। बांस से सुप बनाने के दौरान मल्लिक समुदाय की महिलाएं जब लोकगीत गाकर सुप का निर्माण कर रही होती हैं तो गुजरने वाले लोग रुक कर छठ माता के गीत सुन मंत्रमुग्ध जाते हैं । नगर निगम क्षेत्र के अंबेडकर चौक के पास मल्लिक समुदाय की महिलाओं के द्वारा व्यापक पैमाने पर बाँस से बने सूप का निर्माण वर्षों से किया जाता रहा है जिसकी सप्लाई विदेश तक होती है। बांस से सुप निर्माण के समय जब झुंड में मलिक समुदाय की महिलाएं छठ माता के गीत गुनगुनाने लगती हैं तो पूरे शहर में का माहौल भक्तिमय हो जाता है।
अंबेडकर चौक निवासी सीता देवी बताती है कि वह बचपन से ही मां-बाप के घर बस का सूप बनाना सीखी है और अब तक बना रही हैं,बांस से बने सूप का छठ पूजा में काफी महत्व है और बेगूसराय में बना बांस का सूप न सिर्फ पूरे देश बल्कि विदेशों में भी इसकी मांग काफी है। साथ ही वह बताती है कि आजकल के आधुनिक और डिजिटल युग होने के बावजूद भी लोग बांस से बने सुप का ही इस्तेमाल करते हैं।बांस महंगे हो जाने के बावजूद भी सूप की मांग काफी है और उसे हिसाब से हम लोग सूप की पूर्ति नहीं कर पाती हैं।
वहीं मौके पर मौजूद अन्य महिलाएं रीना देवी, शकुंतला देवी,और गीत देवी बताती हैं कि छठ पूजा में बांस से बने सूप का जितना महत्व है शायद ही किसी अन्य सामग्री से बने सुप का महत्व है आजकल के आधुनिक युग में भले ही कुछ लोग पीतल,सोने,चांदी,स्टील और प्लास्टिक के सूप से पुजा अर्चना कर रहे हैं लेकिन जितना महत्व बांस से बने सुप का है उतना किसी अन्य सामग्री से बने सूप का नहीं। उनका मानना है कि लोग अपने वंश को आगे बढ़ाने के लिए बांस से बने सूप से भगवान भास्कर को अर्ध देते हैं ताकि उनकी मनोकामना पूर्ण हो। साथ ही वो लोग बताती है कि बेगूसराय में बने बांस का सूप दिल्ली,मुंबई,गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों के अलावा विदेश में रह रहे भारतीय लोग भी यहां से सूप खरीद कर मंगवाते हैं। यही कारण है कि जिस हिसाब से सुप की मांग है उस हिसाब से हम लोग सूप की पूर्ति नहीं कर पाते हैं।