BIG BREAKING : केन्द्र सरकार ने लेटरल एंट्री पर लगायी रोक, UPSC को विज्ञापन रद्द करने का दिया आदेश, बतायी बड़ी वजह

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NEWS DESK :इस वक्त एक बड़ी खबर आ रही है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दिया है। UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर सियासी बहसबाजी के बाद अब कार्मिक मंत्री ने UPSC चेयरमैन को पत्र लिखा है और कहा है कि पीएम मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगायी जाए।

केन्द्र सरकार ने लेटरल एंट्री पर लगायी रोक

UPSC ने 17 अगस्त को लेटरल एंट्री भर्ती के लिए 45 पोस्ट पर वैकेंसी निकाली थी। इसे अब रद्द कर दिया गया है। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने UPSC चेयरमैन को नोटिफिकेशन रद्द करने को कहा। PM मोदी के कहने पर यह फैसला बदला गया है। कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है।

केन्द्रीय कार्मिक मंत्री जितेन्द्र सिंह ने UPSC चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था। प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

UPSC को विज्ञापन रद्द करने का दिया आदेश

साथ ही इस पत्र में ये भी कहा गया है कि सामाजिक न्याय की दिशा में संवैधानिक जनादेश बनाए रखना जरूरी है ताकि वंचित समुदायों के योग्य उम्मीदवारों का सरकारी नौकरियों में सम्मानपूर्ण प्रतिनिधित्व हो। चूंकि ये पद विशेष हैं, ऐसे में इन पदों पर नियुक्तियों को लेकर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इसकी समीक्षा और जरूरत के अनुरूप इनमें सुधार की जरूरत है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी का पूरा फोकस सामाजिक न्याय की ओर है।

पत्र में ये भी कहा गया है कि पीएम मोदी का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में सामाजिक न्याय के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता होनी चाहिए। लेटरल एंट्री वाले पदों की समीक्षा किए जाने की जरूरत है। ऐसे में 17 अगस्त को जारी लेटरल एंट्री वाले विज्ञापन को रद्द कर दें। यह करना सामाजिक न्याय एवं सशक्तीकरण की दृष्टि से बेहतर होगा।

कानून मंत्री का राहुल गांधी पर प्रहार

गौरतलब है कि इस वैकेंसी का राहुल गांधी ने भी विरोध किया था। राहुल ने कहा था कि लेटरल एंट्री के जरिए खुलेआम SC-ST और OBC वर्ग का हक़ छीना जा रहा है। मोदी सरकार RSS वालों की लोकसेवकों में भर्ती कर रही है। राहुल गांधी को जवाब देते हुए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि पूर्व PM मनमोहन सिंह को लेटरल एंट्री के जरिए ही 1976 में फाइनेंस सेक्रेटरी, मोंटेक सिंह अहलूवालिया को योजना आयोग का उपाध्यक्ष और सोनिया गांधी को नेशनल एडवाइजरी काउंसिल (NAC) चीफ बनाया गया।

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लेटरल एंट्री की शुरुआत की थी। अब PM मोदी ने UPSC को नियम बनाने का अधिकार देकर लेटरल एंट्री सिस्टम को व्यवस्थित बनाया है। पहले की सरकारों में लेटरल एंट्री फॉर्मल सिस्टम नहीं था।

पत्र में ये भी कहा गया है कि लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट 2005 में UPA सरकार लेकर आयी थी। सभी जानते हैं कि 2005 में लेटरल एंट्री का प्रस्ताव आया था। तब वीरप्पा मोइली की अगुवाई में प्रशासनिक सुधार आयोग बना था, जिसमें ऐसी सिफारिशें की गई थीं। इसके बाद 2013 में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें भी इसी दिशा में की गई थीं लेकिन उससे पहले और बाद में लेटरल एंट्री के कई मामले सामने आए थे।