BIG BREAKING : वन नेशन-वन इलेक्शन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी, जानिए कब बिल लेकर आएगी मोदी सरकार
NEW DELHI :सियासी गलियारे से बड़ी खबर सामने आ रही है कि वन नेशन-वन इलेक्शन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की रिपोर्ट को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है।
रिपोर्ट में दिए गये हैं ये सुझाव
जानकारी के मुताबिक शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार बिल लेकर आएगी। गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में जो सुझाव दिए गए हैं, उसके मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए।
समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। वर्तमान में राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
वन नेशन-वन इलेक्शन के फायदे और चुनौतियां
देश में एक साथ चुनाव कराने से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि चुनावी खर्च में भारी कटौती होगी। हर बार चुनाव कराने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं, जो कि कम हो सकते हैं। इसके अलावा प्रशासन और सुरक्षा बलों पर चुनावी ड्यूटी का बोझ भी कम होगा। साथ ही सरकारें बार-बार चुनावी मोड में जाने की बजाय विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगी।
वोटर टर्नआउट भी बढ़ने की उम्मीद है क्योंकि बार-बार चुनाव से लोग ऊब जाते हैं और मतदान में रुचि नहीं दिखाते। एक ही दिन में चुनाव होने से जनता अधिक उत्साहित होकर वोट देने आएगी। इसे लागू करने में कुछ चुनौतियां भी हैं, जैसे वन नेशन-वन इलेक्शन लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करना पड़ेगा, जो सबसे बड़ी चुनौती है।
राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा से मेल नहीं खाता इसलिए इन्हें एक साथ लाने के लिए संवैधानिक बदलाव जरूरी है। इसके अलावा ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की संख्या बढ़ाने और पर्याप्त सुरक्षा बलों की व्यवस्था भी एक चुनौती होगी।