बिहार पर हावी ब्यूरोक्रेसी : महागठबंधन के नेताओं को भी लगी खटकने,बोले- चिंता का विषय


पटना : बिहार में ब्यूरोक्रेसी का मुद्दा इन दिनों काफी गर्म है। खासतौर पर महागठबंधन सरकार के ही जनप्रतिनिधि ब्यूरोक्रेसी से परेशान। ब्यूरोक्रेसी के शिकार हुए नेता अब शिक्षको के मुद्दे पर होने वाली सर्व दलीय बैठक में ये मुद्दा उठाने की तैयारी चल रही है। बताया जा रहा है कि जेडीयू उपाध्यक्ष ललन पासवान भी इसके शिकार बन गए और फिर भारी फजीहत करा ली।
ललन पासवान की हुई फजीहत
दरअसल जेडीयू के प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व विधायक ललन पासवान को सासाराम सर्किट हाउस में घुसने से वहां के कर्मचारियों ने रोक दिया। इतना ही नहीं जब कर्मचारी की शिकायत ललन पासवान ने स्थानीय डीपीओ से फोन पर की तो उनसे अभद्रता से बात की गई । जिसके बाद ललन पासवान ने इस संदर्भ में सीएम को पत्र लिखकर आपत्ति जताई है।
अफसर शाही के शिकार सीपीआई विधायक
यह कहानी सिर्फ ललन पासवान तक ही सीमित नहीं। लेफ्ट पार्टी के नेता भी अफसरसाही से बेहद नाराज है। सीपीआई विधायक अजय कुमार ने बताया कि आने वाले दिनों में शिक्षकों के मसले पर सर्वदलीय बैठक होने वाली है। जिसमे सीएम खुद मौजूद रहेंगे। लेफ्ट पार्टी के नेता सर्वदलीय बैठक में इस मुद्दे को उठाने वाले हैं।
विधायिका पर हावी ब्यूरोक्रेसी
कांग्रेस एमएलसी समीर सिंह भी मानते हैं कि ब्यूरोक्रेसी का विधायिका पर हावी होना चिंता का विषय है। समीर सिंह कहते हैं कि अधिकारियों को ये समझना चाहिए कि विधायिका कार्यपालिका से हमेशा उपर है। सीएम इस मामले में जरुर संज्ञान लेंगे।
विधायिका और कार्यपालिका के बीच बढी खाई
वहीं संसदीय मामलों के जानकार मानते हैं कि कमी दोनो तरफ से हो गई है। पूर्व विधान सभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि विधायिका और कार्यपालिका के बीच खाई बढी है। जो लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं।
विधायिका और कार्यपालिका के बीच बढी दूरी को आखिर कम कैसे किया जाए ये बडा सवाल है। इसके लिए प्रयास सरकारी स्तर पर भी हुए लेकिन वो नाकाफी साबित हुए हैं। वैसे सर्वदलीय बैठक में समस्या का समाधान हो पाता है या नहीं यह देखना वाकई काफी दिलचस्प होगा।