पटना हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला : सामाजिक स्वीकृति वाले संबंधों को धारा 125 के तहत वैध विवाह माना जाएगा, भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकेगा


DESK : पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि कोई संबंध सामाजिक स्वीकृति, रीति-रिवाज, सहजीवन और संतानोत्पत्ति से पुष्ट हो, तो उसे आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत वैध विवाह माना जाएगा।कोर्ट ने ये भी स्पष्ट किया कि ऐसी महिला को केवल तकनीकी आधार पर भरण-पोषण से वंचित नहीं किया जा सकता।
जस्टिस विवेक चौधरी ने यह टिप्पणी संगीता देवी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दी। संगीता देवी ने अपने देवर पवन कुमार सिंह से लेवीरेट परंपरा के अनुसार विवाह किया था, जिससे दो संतानें भी उत्पन्न हुईं। लेकिन पवन कुमार, जो बिहार पुलिस में कांस्टेबल हैं, छह वर्षों से पत्नी व बच्चों को त्याग चुके हैं।परिवार न्यायालय ने विवाह को अवैध बताकर याचिका खारिज कर दी थी।
हाईकोर्ट ने इसे त्रुटिपूर्ण ठहराते हुए कहा कि धारा 125 में विवाह की वैधता का औपचारिक निर्णय आवश्यक नहीं, केवल प्रथमदृष्टया संबंध पर्याप्त है। कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए इस मामला को दोबारा सुनवाई के लिए भेज दिया है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को रिवाज, सहजीवन और सामाजिक मान्यता से जुड़े साक्ष्य पेश करने का अवसर देने का निर्देश दिया है।