BIHAR NEWS : कर्नाटक सरकार की अध्ययन टीम ने बिहार के भूमि अधिग्रहण मॉडल का किया अध्ययन

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पटना : भूमि अधिग्रहण,पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन से संबंधित मामलों में पारदर्शिता और गति के लिए बिहार में लागू किए गए मॉडल की सफलता अब अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रही है. इसी क्रम में कर्नाटक सरकार ने अपर कृष्ण परियोजना (UKP-3)के कार्यान्वयन हेतु भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से बिहार के भूमि अधिग्रहण मॉडल का अध्ययन करने के लिए एक अध्ययन दल का गठन किया है.

कर्नाटक सरकार द्वारा गठित इस दल में के.पी. मोहनराज,प्रबंध निदेशक,कृष्णा भाग्य जल निगम लिमिटेड (KBJNL)सह आयुक्त,एलएक्यू एवं आरएंडआर,बागलकोट के नेतृत्व में के. मुरलीधर कामथ,सीएस,आई. वीराबु,ईई,मारुति ब्याकोड,केएएस,प्रकाश गोपु राजपत,केएएस,एवं मोहन बी नागथन,एएसएलओ शामिल हैं.

यह टीम पटना पहुंची और बिहार सरकार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श किया.

इस अवसर पर विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह,सचिव जय सिंह,सचिव गोपाल मीणा,भू-अर्जन निदेशालय के निदेशक कमलेश कुमार सिंह तथा सहायक निदेशक आजीव वत्सराज सहित अन्य अधिकारियों ने बिहार में भूमि अधिग्रहण,पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन (RFCTLARR)अधिनियम, 2013के प्रभावी कार्यान्वयन की पूरी प्रक्रिया,राज्य में गठित भूमि अधिग्रहण अपीलीय प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली एवं न्यायिक ढांचे की विस्तृत जानकारी साझा की.

कर्नाटक सरकार की टीम ने विशेष रूप से बिहार सरकार द्वारा2016में गठित भूमि अधिग्रहण,पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन अपीलीय प्राधिकरणों की पारदर्शी व्यवस्था की सराहना की,जहाँ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में भूमि अधिग्रहण से जुड़े मामलों का समयबद्ध निपटारा किया जा रहा है.

अध्ययन दल ने बताया कि बिहार मॉडल की पारदर्शी,त्वरित और न्यायसंगत प्रक्रिया से प्रेरित होकर इसे अपर कृष्ण परियोजना (UKP-3)में लागू करने की संभावना पर विचार किया जा रहा है. टीम इस अध्ययन के आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर कर्नाटक सरकार को प्रस्तुत करेगी,ताकि वहाँ भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा दिया जा सके.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा विकसित भूमि अधिग्रहण मॉडल सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में एक सशक्त उदाहरण है, जिसे अन्य राज्यों द्वारा अपनाया जाना पूरे देश के लिए गौरव की बात है.