बीड़ी पत्ता मजदूरों का दर्द : छत्तीसगढ़ में झारखंड से ढाई गुणा अधिक मिलता है मेहनताना, गढ़वा में नहीं मिल रहा सही दाम
बीड़ी पत्ता मजदूरों को नहीं मिल रहा है सही मजदूरी. गढ़वा जिले में बीड़ी पत्ता के मजदूरों को उनका सही दाम नहीं मिल रहा है. सुबह से रात भर सौ पोला पत्ता तोड़ने के बाद महज 175 रुपय दैनिक मजदूरी मिलती है. जबकि छत्तीसगढ़ मे यह मजदूरी ढाई गुणा है. यानि साढ़े पांच सौ मिलती है मजदूरी.
गढ़वा जिले के जंगली क्षेत्र मे इनदिनों बीड़ी पत्ता का व्यापार भारी पैमाने पर किया जा रहा है. महज एक माह तक चलने वाले इस व्यवसाय मे श्रमिकों को बहुत काम मिल जाता है. जंगल में वास करने वाले ग्रामीण इस एक माह मेहनत कर पुरे छः माह तक अपना घर परिवार चलाते हैं. इन श्रमिकों को एक टिस है की उन्हें उनके मेहनत के अनुसार मेहनताना नहीं मिलता है.
झारखण्ड में एक सौ बीड़ी पत्ता के पोला पर पौने दो सौ मेहनताना मिलता है. जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ मे एक सौ पोला बीड़ी पत्ता पर पांच सौ मेहनताना के साथ राज्य सरकार अलग से चार सौ बोनस देती है. इस तरह वंहा श्रमिकों को एक सौ पोला पर कुल नौ सौ रुपय की राशि बतौर मेहनताना देती है. जबकि झारखण्ड मे यह राशि काफी काम है. जिसकी कसक यंहा के श्रमिकों को है. गढ़वा जिले के चिनियाँ प्रखंड के रानीचेरी गाँव के रहने वाले बीड़ी पत्ता श्रमिकों ने बताया की छत्तीसगढ़ राज्य के तर्ज पर हमें भी मेहनताना मिलना चाहिए.
गढ़वा से धर्मेन्द्र की रिपोर्ट.