तरारी विधानसभा उपचुनाव : अंधारी में है गांधीवाद की स्थानीय विरासत, पढ़ें स्पेशल रिपोर्ट

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 Andhari has the local heritage of Gandhism  Andhari has the local heritage of Gandhism

गांधीवाद को भारतीय राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता और न ही गांधी जी कभी अप्रासंगिक हो सकते हैं। यही कारण है कि 2 अक्टूबर 2024 में भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर, गांधीजी के साथ खुद को बिहार के लोगों के साथ रख रहे हैं। गांधीवाद को बनाए और बचाये रखने की बातों को लेकर तरारी विधानसभा इलाके के पचरुखिया गांव के अवकाशप्राप्त शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता विश्वनाथ मिश्र एक ख़ास जानकारी लोगों के सामने रखते हैं।

वे बताते हैं कि तरारी विधानसभा जो सम्पूर्ण सहार और तरारी प्रखंडों की है, यहां गांधीवाद की आत्मा को अंधारी गांव में एक परिवार ने तीन पीढ़ियों से संजोकर रखा है और आज भी यह परिवार सामाजिक रुप से गांधी-विनोबा के सर्वोदय और अंत्योदय के सिद्धांत पर चलता है।

इस परिवार ने हिन्दू -मुस्लिम भाईचारा, जातीय छुआछूत और भेदभाव, अपराध और हिंसा से दूरी तो बना ही रखी है, सामाजिक विकास के लिए भी सक्रियता दिखाई है। इस परिवार के तीन पीढ़ियों से निजी तौर पर दहेज न लेने का स्थायी गांधीवादी रिकॉर्ड बनाया है और मुस्लिम-दलित प्रेम को सामाजिक बढ़ावा देने में हमेशा रिकॉर्ड बनाया है। गांधीवादी साहित्य का संग्रह और सिद्धांतों पर अमल के लिए यह परिवार आजतक संकल्पित है।

यह परिवार है इलाके के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, आध्यात्मिक और समाज सुधारक स्व. ब्रह्मचारी जी का जो सहार प्रखंड के अंधारी गांव में बसता है। जिसदिन जगजीवन राम कांग्रेस सरकार रेलमंत्री के लिए नामित हुए थे, तब वे अंधारी गांव में ब्रह्मचारी जी द्वारा आयोजित एक सभा को सम्बोधित कर रहे थे। ब्रह्मचारी जी के आयोजकत्व में बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह, वरिष्ठ नेता अनुग्रह नारायण सिंह, जय प्रकाश नारायण और रामसुभग सिंह जैसे स्वतंत्रता काल के बाद के गांधीवादी और राजनीतिज्ञ आते रहते थे।

गांधीवादी होने के साथ-साथ ब्रह्मचारी जी ने संस्कृत हाई स्कूल, सनातन धर्मवर्धक पुस्तकालय और अध्यात्म चिंतन मंडल जैसी संस्थाएं खोली और भूदान आंदोलन के लिए भी कई काम किए। 1942 के आंदोलन के वे इनामी फ्रीडम फाइटर थे और मंडनपुर गांव में एक गरीब व्यक्ति की बढ़िया से बेटी की शादी हो जाए, इसके लिए अपनी गिरफ्तारी बेटे के बाप से पुलिस को कराकर उसे अंग्रेजी सरकार से इनाम दिलवाने का सामाजिक सरोकार पूरा किया।

अंधारी में ब्रह्मचारी जी के पुत्र स्व. रामशंकर पाठक हुए, जिन्होंने इंटक के मजदूर नेता के रुप में दशकों काम किया और दिहाड़ी मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी के लिए उच्चतम न्यायालय तक लड़ाई लड़ी। तरारी प्रखंड के बिहटा से सहार प्रखंड के खैरा तक की सड़क के पक्कीकरण की कागजी लड़ाई उन्होंने आजीवन लड़ी और भोजपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी अमृतलाल मीणा ने इसे स्वीकार कर सरकार को प्रस्तावित किया, जिसपर आज SH 81 का विस्तार हुआ है।

स्व. ब्रहमचारी जी की तीसरी पीढ़ी के सबसे छोटे सदस्य हैं राजेंद्र कुमार पाठक उर्फ़ राजू पाठक, जो पत्रकारिता का एक लंबा अनुभव रखते हैं। साथ ही पेशे से वकील हैं, किसान और कवि हैं। ये हर रूपों में गांव समाज के बीच सक्रिय रहते हैं। चाहे बेहतर खेती और उन्नति की बात हो। वर्ष 2005 से पंचायती चुनावों के तमाम अनुभव और ग्रामीण समस्याओं के समाधान कराने में तत्पर होने की बात। कविता, कहानी, संगीत और सर्वधर्म समभाव के कार्यक्रम हो या सहार को अनुमंडल बनाने की मांग राजेंद्र पाठक ने गांधीवादी अंदाज में ये मुद्दे सरकार के संज्ञान में लाया है।

बतौर पत्रकार राजेंद्र पाठक की खबरों से बिहार-झारखंड की विधानसभाओं में कई सवाल उठे हैं और सरकार ने रिपोर्ट की नोटिस ली है। राजेंद्र पाठक बचपन से ही अपने गांव के गरीब और पिछड़ा समाज के लोगों की निजी समस्याओं के समाधान दिलाने का गांधीवादी संकल्प निभाते आ रहे हैं। इन्होंने गरीब सवर्णों की हालत पर भी सरकार से ख़ास सवाल करने का काम किया है तो अपराध, हिंसा, अश्लील संगीत और सामाजिक भेदभाव के विरोध में कई कदम उठाए हैं।

विश्वनाथ मिश्र बताते हैं कि आसन्न तरारी विधानसभा उपचुनाव खेलने का राजेन्द्र पाठक ने मन बनाया है क्योंकि विनोबा भावे ने लोकतांत्रिक तौर पर चुनाव लड़ने नहीं चुनाव खेलने का सिद्धांत रखा था ताकि चुनाव शब्द से नकारात्मकता हट सके। राजेंद्र पाठक ने यह साफ किया है कि कम खर्च पर लोकतांत्रिक सुचिता के साथ चुनाव में जाना उनका मुख्य उद्देश्य है। वे कहते है कि गांधीजी की फोटो लगा टीका या टिकुली लगा या दिखाकर कोई व्यक्ति दल या विचारधारा गांधीवादी साबित नहीं हो सकता क्यूंकि गांधीवाद महज अवसरवाद नहीं हो सकता।

विश्वनाथ मिश्र कहते हैं कि इस तरह के सिद्धांत और व्यवहार के साथ अंधारी गांव के इस परिवार से तरारी विधानसभा क्षेत्र में चुनावी भागीदारी की बात इलाके में गांधीवादी सिद्धांतों को लोगों के बीच ले जाने का एक विशेष काम साबित होगा। इससे इलाके में एक राजनीतिक सुचिता और धन-बल के दबाव या दबंगई और काउंटर दबंगई के हालातों से अलग टेस्ट के किसी कैंडिडेट से भी लोग जुड़ सकेंगे।