अजब प्रेम की गजब कहानी : प्रेमिका के लिए जेल में ही सीखा ककहरा,फिर अपनी प्रेम कहानी पर लिख दी किताब..
KASHISH NES DESK:- अजब प्रेम की गजब कहानी का मामला आया है जिसमें प्रेमी ने प्रेमिका के विरह में जेल में ही ककहरा सीखा और फिर उसके लिए एक किताब लिख दी.यह किताब अब बाजार में आ चुकी है और इस प्रेम कहानी के साथ ही लिखने वाले की तारीफ हो रही है.
यह प्रेम कहानी है योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश की,और इस प्रेमी का नाम है शकील अमीरूद्धीन और उसके द्वारा 7 साल की अथक मेहनत से लिखी गयी पुस्तक का नाम है ‘गुले मुकद्दस’.इस पुस्तक में शकील ने अपनी प्रेम कहानी के बारे में लिखी है,जिससे वह बेहद प्यार करता था,पर उसकी प्रेम कहानी अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पायी क्योंकि अपराध के एक मामले में शकील को 11 साल की सजा हो गयी.वह गाजियाबाद के जेल में सालों तक बंद रहा. इस बीच उसके प्रेमिका की शादी हो गयी,लेकिन अब वह आजाद है.
मीडिया से बात करते हुए शकील अमीरूद्धीन ने बताया कि उनकी पुस्तक ‘गुले मुकद्दस’ प्रेम पर आधारित पुस्तक है.यह पुस्तक उसने 7 सालों के अथक मेहनत से लिखी है.और इसमें उनकी सच्ची मोहब्बत की दास्तां है. शकील ने बताया कि युवावस्था में खेतों में काम करने के दौरान ही एक लड़की से उन्हें इश्क हुआ था.इस बीच एक मामले में उसे 11 साल की सजी हो गयी,जिसकी वजह से दोनों का प्यार परवान नहीं चढ़ सका,पर उसे उस लड़की से बेहद लगाव हो गया था.यही वजह है कि वह वह जेल आने पर खूब रोया था और तीन साल तक उसकी याद में सिसकता रहा.इस बीच उसकी प्रेमिकी की शादी हो गयी.उसके जेहन में अपनी प्रेमिका के लिए काफी कुछ सोच –विचार आ रहा था,पर वह उसे शब्दों बयां नहीं कर सकता था क्योंकि उसे पढ़ना लिखना नहीं आता था.पर वह शेर और शायरी के माध्यम से जेल के विभिन्न कार्यक्रमों में अपनी भावना प्रकट करता था,जिसके बाद जेल के अधिकारियों ने उन्हें पढ़ने लिखने के लिए प्रोत्साहित किया.उसने ककहरा से शुरूआत की और फिर प्रेमिका की याद में एक पुस्तक लिख डाली.ये पुस्तक ‘गुले मुकद्दस’अब छपकर तैयार है.उसकी पुस्तक का विमोचन जेल के अधिकारियों और सहयोगियों ने मिलकर किया है.
शकील ने कहा कि इस पुस्तक को वे अपनी प्रेमिका को भेंट करने जायेंगे.हम जनते हैं कि अब वह शादी शुदा है.पर उनसे अभी भी उन्हें बेपनाह मोहब्बत है पर यह मोहब्बत शरीर और जिस्म का नहीं बल्कि भावनाओं का है.इसलिए अपनी भावनाओं से अवगत कराने के लिए वे उनके पास अपनी पुस्तक लेकर उनके परिवार की सहमति लेकर जायेंगे.
वहीं इस पुस्तक का लोकार्पण करने वाले गाजियाबाद के जेल अधीक्षक अलोक सिंह ने कहा कि जेल आने के दौरान शकील नाम का बंदी पढ़ना-लिखना नहीं जानता था,पर पढ़ाई के प्रति उसकी दिलचस्पी थी.यही वजह है कि जेल में रहते हुए उसने पढ़ाई-लिखाई की.उसकी रूची के अनुसार जेल प्रशासन ने पूरी मदद की.शकील पढ़ना-लिखना सीख गया. उसने IGNOU से अपनी पढ़ाई पूरी की. जेल के कार्यक्रम में शेर और शायरी करने लगा.इसकी शायरी पर जेल में खूब तालियों बजती थी.आज ये बंदी अपनी सजा काटकर आजाद है और सामान्य जीवन गुजर–बसर कर रहा है..इस बीच बीच उसने अपने प्रेम कहानी का एक पुस्तक भी लिखा है जिसका विमोचन किया गया है.उम्मीद है कि इसका पुस्तक लोगों को उसकी तरह पसंद आयेगी जैसी की उसकी शायरी जेल के बंदी पसंद करते थे.