तरक्की का पक्का रास्ता : बिहार में 20 वर्षों में बुना गया ग्रामीण सड़कों का मजबूत जाल,ग्रामीण अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन को दी नई रफ़्तार


पटना:-बिहार में विकास की सबसे बड़ी कहानी सड़कों के ज़रिए लिखी गई है। बीते दो दशकों में राज्य ने जिस पैमाने पर ग्रामीण संपर्कता का विस्तार किया है,उसने न केवल भौगोलिक दूरियों को घटाया है बल्कि आर्थिक अवसरों,शिक्षा,स्वास्थ्य और सामाजिक गतिशीलता को भी नई दिशा दी है।
बीते 20 वर्षों में राज्यभर में 1 लाख 19 हजार किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण पूरा किया गया है। वर्ष 2005 से पहले जहां बिहार में ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क लगभग 8,000 किलोमीटर तक सीमित था,वहीं आज यह आंकड़ा 1.19 लाख किलोमीटर को पार कर चुका है। इसी अवधि में 2,560 पुलों का निर्माण भी किया गया,जिससे राज्य की 1.20 लाख से अधिक ग्रामीण आबादी को बारहमासी सड़क संपर्कता प्राप्त हुई। यह बदलाव केवल परिवहन तक सीमित नहीं रहा,इसने ग्रामीण जीवन की संरचना को पूरी तरह बदल दिया।
आर्थिक क्रांति की धुरी बनीं ग्रामीण सड़कें
ग्रामीण सड़कों के इस व्यापक जाल में शिक्षा,स्वास्थ्य और आजीविका तक पहुंच को आसान बनाया है। अब बच्चे हर मौसम में स्कूल जा सकते हैं,स्वास्थ्य सेवाएं गांवों तक पहुंच रही हैं और स्थानीय किसान अपने उत्पादों को सीधे बाजार तक ले जा पा रहे हैं। परिणामस्वरूप,राज्य की प्रति व्यक्ति आय में 700 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है,यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि सड़कें केवल यातायात का माध्यम नहीं,बल्कि आर्थिक क्रांति की धुरी हैं।
विकास पथ पर ग्रामीण बिहार
आज सड़कों ने न केवल गांवों को गांव से और गांव को शहरों से जोड़ा है,बल्कि उद्योगों और बाजारों में भी दूरियां खत्म कर दी है। कृषि उत्पादों को अब उचित मूल्य मिलना,पर्यटन स्थलों तक पर्यटकों की पहुंच आसान होना और नए उद्योगों की स्थापना के लिए अनुकूल वातावरण होना,साबित करता है कि यह नया बिहार है,जो बदल रहा है,बढ़ रहा है। बिहार की सड़क नया क्रांति रच रही है।