दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से हाथियों का पलायन क्यो : चांडिल डैम के किनारे गजराजों ने बसाया डेरा, शाम होते ही गांवों में प्रवेश कर मचाते हैं तबाही

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Why do elephants migrate from Dalma Wildlife Sanctuary Why do elephants migrate from Dalma Wildlife Sanctuary

सरायकेलाके नीमडीह थाना इलाके के सीमा गांव में हाथियों ने तबाही मचाई. हाथियों को भगाने के लिये से ग्रामीण मशाल, पटाखे टॉर्च लेकर रात भर डटे रहे. परिवार की सुरक्षा के लिये विशाल जंगली गजराज के झुंड को भगाने की कोशिश करते रहे. लोगों को देखकर हाथियों का झुंड भी आक्रमण के लिये दौड़ पड़ता. रातभर में ग्रामीण घर के बाहर मशाल और आग जलाकर रहे, ताकि घरों हाथियों का झूंड प्रवेश न कर सके. सुबह होते ही हाथियों का झुंड दलमा वन्य प्राणी आश्रणयी से चांडिल डैम जलाशय किनारे भोजन और पानी की तलाश में डेरा डाल लेते हैं. और शाम होते ही ये झुंड गांव में प्रवेश करके घर में रखे अनाज और धान को अपना निवाला बना लेता है. साथ ही खेतों में लगे फसलों को भी चट कर जाते हैं.

चांडिल के दलमा वाइल्ड लाइफ सेंचुरी में गज परियोजना है... यहां 5 सालों से गजों का पलायन हो रहा है. जंगल और जंगली जीव जंतु के संरक्षण के लिए केंद्र और राज्य सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है. इसके बावजूद इतना बड़ा सेंचूरी से जंगली जीव जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं. 192.22 वर्ग क्षेत्र में फैले जंगल में वन्य जीव दिखाई नहीं देते. पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिये वन एवं पर्यावरण विभाग कई योजना चला रहे हैं, लेकिन जंगल सफारी के दौरान पर्यटकों को जंगली जीव जंतु का दर्शन नहीं होता है. एक वक्त था, जब जंगल के जल स्रोतों में गजों का झूंड देखने को मिलता था. अब इस गज परियोजना में पश्चिम बंगाल उड़ीसा समेत कई राज्यों से आश्रयणी में हाथियों का झूंड प्रवेश तो करता है, लेकिन भोजन पानी के अभाव में बाहर भी निकल जाता है.

ईचागढ़ के चारो प्रखंड के छोटे बड़े और समतल जंगल में हाथियों का झूंड आश्रय लिये हुए है. सेंचुरी में विगत 5 वर्षों से गजराज का झुंड इस गज परियोजना से पलायन करते हैं. प्रतिवर्ष गजों का गणना सिर्फ कागजों पर होता है. परियोजना में पानी और भोजन पर्याप्त मात्रा में नहीं होने की वजह से जंगली जीव जंतु पलायन करके चांडिल अनुमंडल क्षेत्र में डेरा डाले हुए है. एक वक्त था.. जब दलमा आश्रयणी में गजराजों का झुंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा आदि राज्यो प्रज्जन के लिए आते थे और हाथनी नवजात वेबी जन्म देकर परियोजना में पालन करती थी. इसी वजह से इसे गर परियोजना का नाम दिया गया था. उस समय भोजन और पानी की पर्याप्त सुविधा थी. जंगल की कटाई, आग लगना और शिकार की वजह से जंगली जीव जंतु विलुप्त होने लगे. हालांकि वन विभाग को केन्द्र और राज्य सरकार प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये मुहैया कराती है. इसके बावजूद इस तरह से जंगली जीव जंतु का विलुप्त होना सवालिया निशान खड़ा होता है. अगर हाल यही रहा तो आने वाले समय में सिर्फ जंगल रह जायेगा.