चाईबासा में भ्रष्टाचार का ये कैसा खेल ! : गलत शपथ पत्र, एफिडेविट और फर्जी कागजात...विकास योजनाओं पर डाका डाल रहे ठेकेदार

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What kind of game of corruption is this in Chaibasa What kind of game of corruption is this in Chaibasa

ठेकेदारों के योजनाओं और कागजातों की जांच हुई तो 90% ठेकेदार पर हो सकती है 420सी , फ्रोजरी और ब्लैकलिस्टेड की कार्रवाई

योजनाओं को लेकर अधूरा छोड़ने, गलत शपथ पत्र भरकर योजना हडपने के लिए ठेकेदारो ,दलाल , बिचौलिया का गिरोह सक्रिय

विगत 4-5 वर्षों के तमाम योजनाओं और ठेकेदारों द्वारा भरे गए निविदा में दिए गए कागजातों की जांच हो तो फर्जी कागजात के सहारे करोड़ों अरबो के लूट ,घोटाले का होगा पर्दाफाश

पूर्व के चर्चित , दागी ठेकेदारों ,जिन पर पूर्व में घपले घोटाले को लेकर हो चुकी है जांच करवाई , वर्तमान में भी चल रही है जांच, वैसे चर्चित ठेकेदारों का शहर से लेकर गांव तक की योजनाओं पर है कब्जा

चाईबासा :पश्चिमी सिंहभूम जिले में विकास योजनाओं के नाम पर भारी पैमाने पर गडबडी, लूट और घोटाला हो रहा है। विकास योजनाओं के नाम पर अधिकारी अभियंता ठेकेदार गठ्जोर से सरकारी राशि की लूट हो रही है , सरकारी पैसे को लूटा जा रहा है। जिले में कथित विकास योजनाओं सड़क, पुल ,पुलिया , भवन आदि योजनाओ में अधिकारी ,ठेकेदार अभियंता गठजोड़ से विगत 4, 5 वर्षों में करोडो -अरबो का लूट और घोटाला हुआ है। जिले में विधानसभा चुनाव से पूर्व योजना और योजनाओ के नाम पर घोटाला चल रहा है, कथित विकास एवं विकास योजनाओं के नाम पर सभी तकनीकी विभागों में लूट मची है। विधानसभा चुनाव की घोषणा होने और आचार संहिता लगने में महज अब कुछ ही दिन बाकी है और ताबड़तोड़ करोड़ अरबों की योजनाए निकाली गई है। लघु सिंचाई विभाग, विशेष प्रमंडल एनआरईपी में डीएमएफटी फंड से करोड़ों अरबो की सड़क पीसीसी सड़क, पुल, पुलिया की योजना निकाली गई है, सबसे अधिक लूट और मारामारी पीसीसी सड़क में हो रही है। विगत वर्षों में डीएमएफटी फंड की योजनाओं में बड़े पैमाने पर लूट, घोटाला और कमीशन खोरी हो रहा है। विकास 4 -5 वर्षों की तमाम विकास योजनाओं कथित विकास योजना की जांच हो तो करोड़ों अरबों के अभियंता ठेकेदार गठजोर से प्रायोजित रूप से हुए और हो रहे घोटाले का पर्दाफाश होगा। वही चुनावी वर्ष के अंतिम दिनों में करोडो अरबों की पीसीसी, सड़क ,पुल, पुलिया की योजना में भी भारी पैमाने पर गड़बड़ी लूट अनिमितता और घोटाला हो रहा है। विकास योजना को लूटने के लिए ठेकेदार ,अभियंता, नेता, अधिकारी सब एक हो गए हैं।

'संवेदक संघ ठेकेदार, दलाल, बिचौलिया, सफेदपोश सक्रिय हो गया है'

जिले में विकास योजना में लूटपाट ,घोटाला ,कमीशन खोरी मचाने के लिए संवेदक संघ भी बनाया गया है । शहर संवेदक संघ और ग्रामीण संवेदक संघ है। निविदाओं पर कब्जा को लेकर शहरी और ग्रामीण ठेकेदारों में आए दिन टकराव की स्थिति बनी रहती है और हमेशा टकराव की आशंका स्थिति उत्पन्न होती है। जब से ऑफलाइन में निविदा डालने की प्रक्रिया समाप्त हुई है। और ऑनलाइन निविदा डालने की प्रक्रिया शुरू हुई है। तब से संवेदक संघ ठेकेदार, दलाल, बिचौलिया, सफेदपोश सक्रिय हो गया है। सरकार के निर्देश पर ऑनलाइन सिस्टम शुरू होने के बाद माननीयो की पूछ भी थोड़ी कम हुई है और संवेदक संघ की आड़ में दर्जन भर कथित चर्चित और दागी ठेकेदार एकजुट होकर कथित विकास एवं योजनाओं को लूटने में लगे हैं। गलत शपथ पत्र, गलत एफिडेविट और फर्जी कागजात आदि के सहारे अधिक से अधिक योजना हडपने और अधिक से अधिक योजनाओं पर कब्जा जमाने का नया खेल सामने आया है।

'जिले में ठेकेदार, फर्जी ठेकेदारों और संदिग्ध दलाल बिचौलिया ठेकेदारों का एक गिरोह सक्रिय है जो योजनाओं को लेकर खरीदता और बेचता है'

जिले में ठेकेदार, फर्जी ठेकेदारों और संदिग्ध दलाल बिचौलिया ठेकेदारों का एक गिरोह सक्रिय है जो योजनाओं को लेकर खरीदता और बेचता है। सरकार के नियम अनुसार जिस ठेकेदार का किसी भी विभाग में योजनाएं लंबित है अथवा उन पर जांच और कार्रवाई चल रही है । किसी भी विभाग में योजनाओं को लेकर योजना लटका कर रखा गया है , पूर्ण नहीं किया गया है ,योजना आधा अधूरा है । वैसे ठेकेदार को जिले के किसी भी विभागों में निविदा डालने और नया काम देने पर सख्त रोक लगाई गई है। इस नियम के तहत कार्य पूरा नहीं करने और योजना लेकर योजना पूरा नहीं करने वाले ठेकेदार किसी भी निविदा में निविदा नहीं डाल सकते और उन्हें नया काम नहीं मिल सकता। लेकिन विभागीय अभियंताओं के सांठगांठ से योजना कार्य लेकर काम पूरा नहीं करने वाले, योजना आधा अधूरा रखने, योजना लंबित रखने वाले ठेकेदारों द्वारा फर्जी कागजात ,गलत एफिडेविट, शपथ पत्र डालकर योजनाएं को हडपने के लिए निविदा डाला गया है। अगर ठेकेदारों द्वारा जमा किए गए कागजात और शपथ पत्र की अगर सही तरीके से जांच हो तो 90 प्रतिशत से अधिक ठेकेदार इसके दायरे में आएंगे और वह किसी विभाग के निविदाओ में भाग नहीं ले सकते हैं। वैसे ठेकेदारों को नया काम नहीं मिल सकता है लेकिन फर्जी कागजात, गलत शपथ पत्र और एफिडेविट डालकर अधिक से अधिक योजना लेकर सरकारी पैसे में लूट, घोटाला मचाने के उद्देश्य से ठेकेदारों , दलाल बिचौलियों का गिरोह इस पूरे रैकेट गिरोह फर्जीवाड़ा के खेल में शामिल हो गया है। सूत्रों के अनुसार जितने भी योजना ताबड़तोड़ निकाल गई है उसमें विवाद नहीं हो और इस फर्जीवाडे का खेल कलई नहीं खुले इसको लेकर ग्रामीण और शहरी ठेकेदार द्वारा आधा-आधा योजना, स्कीम बांट लिया गया है।

ताकि सेटिंग गेटिंग से चुनावी वर्ष के अंतिम समय में योजनाओं में लूट मचाया जा सके। करोडो- अरबो की योजनाओं पर ठेकेदारो ,दलाल बिचौलियों की गिद्ध दृष्टि लग गई है। ऑफलाइन निविदा के समय संवेदक सेटिंग गेटिंग कर शेड्यूल रेट पर निविदा लेते थे और भारी भरकम मुनाफा कमाते थे। मगर जब से ऑनलाइन सिस्टम शुरू हुआ है तब से ठेकेदारों के बीच प्रतिस्पर्धा बढी और प्रतिस्पर्धा में योजना लेने के लिए कई संवेदक 10 ,15 ,20 से 25 प्रतिशत तक प्राक्कलन राशि से नीचे जाकर निविदा में भाग लिया और योजना लेने का काम किया । लेकिन अब वैसे कई ठेकेदार एग्रीमेंट कराने और योजना को पूरा करने में असमर्थ है। कई योजनाएं का काम भी शुरू नही हुआ और योजनाएं पूरी नहीं हो पाई है। शहरी संवेदक और ग्रामीण सवेंदको के बीच टकराव की स्थिति

शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं पर चर्चित ,दागी और पूर्व में भ्रष्टाचार घोटाले, लूट के आरोपी ठेकेदारों ने कब्जा कर रखा है और एक सूनियोजित तरीके से प्रायोजित गिरोह बनाकर जिले के वरीय ईमानदार अधिकारियों के आंखों में धूल झोंक कर किए जा रहे कुकृत्य की पूरे जिला में, शहर से लेकर गांव तक चर्चा का विषय बन गया है। योजनाओ पर कब्जा को लेकर शहरी संवेदक और ग्रामीण सवेंदको के बीच टकराव की स्थिति भी उत्पन्न हो रही है।

'एक ही तिथि परियोजना निकालना , निविदा के भरे जाने और निविदा खोलने की तिथि, समय निर्धारित होना संदिग्ध और खड़ा कर रहा है प्रश्न चिन्ह'

लघु सिंचाई विभाग ,विशेष प्रमंडल एनआरईपी, आरईओ आदि तकनीकी विभागों में डीएमएफटी फंड से करोड़ों की पीसीसी ,सड़क, पुल पुलिया की योजना निकाली गई थी। जिसकी निविदा फॉर्म डालने की तिथि 3 सितंबर और निविदा खोलने की तिथि 5 सितंबर को निर्धारित की गई थी। मगर ठेकेदारों और नेताओं के गिरोह द्वारा भारी दबाव के बाद और पुख्ता सेटिंग नहीं होने के कारण निर्धारित तिथि को आगे बढ़ा दिया गया और आज 9 सितंबर अलग अलग समय पर निविदा डालने का समय निर्धारित किया गया है और निविदा खोलना की तिथि 10 सितंबर निर्धारित की गई है । लघु सिंचाई में 2:30 बजे, विशेष प्रमंडल में 3:00 बजे और एनआर में 5:00 बजे निविदा खोलने का समय निर्धारित है पूर्व में निकाले गए निविदा में तिथि 3 सितंबर और निवेदक खोलने की तिथि 5 सितंबर निर्धारित की गई थी। शुद्धि पत्र निकालकर 9 सितंबर को निविदा डालने की तिथि और 10 सितंबर को निविदा खोलने की तिथि तीनों विभागों में एक ही दिन एक ही समय पर निविदा का भरा जाना और निविदा खोलना यह भी संदिग्ध है और प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है पूरी प्रकिया जांच के दायरे मे है।

एक डाले गए निविदा में आधे से अधिक चर्चित दागी और पूर्व में योजना स्कीम में लूटपाट ,घोटाला करने वाले, दागी संदिग्ध , जिन पर पूर्व में योजनाओ में सरकारी राशि की लूट, घपले घोटाले और गड़बड़ी करने को लेकर पूर्व में जिन पर जांच हो चुकी है, जिन पर जांच चल रही है वैसे ठेकेदारों द्वारा गलत शपथ पत्र एफिडेविट और फर्जी कागजात के सहारे निविदा डाली गई है। अगर इसकी निष्पक्ष जांच हो तो 90% ठेकेदार इसके दायरे में आ जाएंगे और उन पर 420 , फ्रोजरी करने को लेकर एफआईआर दर्ज और ब्लैकलिस्टेड करने की कार्रवाई तक हो सकती है। दूसरे किसी भी योजना में भाग नहीं ले सकते हैं नियम अनुसार जिन ठेकेदारों ने किसी भी विभाग में योजनाओं को लेकर पूरा नहीं किया गया है वैसे ठेकेदारों को कोई भी नया निविदा में भाग नहीं ले सकते हैं और नई योजना, काम नहीं दी जा सकती है। मगर यहां "हर साथ पर उल्लू बैठा है अंजामें गुलिस्ता क्या होगा" वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

चाईबासा से राजीव सिंह की रिपोर्ट