छात्र की दास्तान सुन रो पड़े परिजन : यूक्रेन से सकुशल वापस लौटे रितेश सिंह..घर वालों ने केक काटकर जताई खुशियां..
रोसड़ा -रूस द्वारा जारी हमलों के बीच यूक्रेन के खारकीब में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले 27 वर्षीय छात्र रितेश कुमार सिंह सकुशल अपने गांव शिवाजीनगर प्रखंड के बरियाही घाट पँहुच गए, परिवार के बीच पहुंचते ही रितेश कुमार सिंह के पिता कैप्टन गणेश नारायण सिंह , मां सुशीला देवी एवं चाचा रंजीत कुमार सिंह सहित अन्य परिवार के लोग गले मिलकर पुत्र को सकुशल देख परिवार के लोग काफी खुश हुए, वहीं माता-पिता के आंखों में आंसू छलक आई, घर पहुंचते ही घर लौटने की खुशी में छात्र रितेश कुमार सिंह ने केक काटकर खुशियां मनाया ,छात्र रितेश कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि रूस के द्वारा यूक्रेन पर हमला की जानकारी मिलते ही हॉस्टल में रहने वाले सभी छात्र छात्राओं ने खाने पीने की सामान की खरीदारी कर इकट्ठा कर लिया था,लेकिन लगातार हमले के बाद हॉस्टल के बाहर जाने की अनुमति नहीं होने पर बमबारी की आवाज सुनते ही हॉस्टल परिसर में ही बने बंकर के नीचे छुपकर अपनी जान की सुरक्षा कर रहे थे.
छात्र रितेश सिंह ने बताया कि कई दिन तो जूस पीकर ही पूरे दिन बंकर के नीचे छुपे रहे बमबारी के दौरान जान बचाना काफी मुश्किल था भारतीय दूतावास के सलाहकार की ओर से जो सहयोग मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पा रहा था, जिस कारण बॉर्डर से निकलने के दौरान घंटों बॉर्डर पर इंतजार करना पड़ा, और यूक्रेनी सेना भारतीय नागरिक को घंटों रोककर पहले यूक्रेन को बॉर्डर क्रॉस करवाते थे ,बाद में भारतीय नागरिकों को बॉर्डर से भेजा जाता था जिसके कारण काफी समय तक पैदल चलने के बाद भी बॉर्डर क्रॉस करने में 12 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, वही यूक्रेन का बॉर्डर क्रॉस करते ही पौलेंड सीमा में पहुंचते ही भारतीय दूतावास के सलाहकारों के द्वारा काफी सहयोग किया गया,
छात्र रितेश कुमार सिंह ने बताया कि खारकीब में बहुत सारे अभी भी छात्र है खारकीब के बगल में सम्मी क्षेत्र में काफी संख्या में भारत के छात्र रह रहे हैं बमबारी के बाद हालात काफी खराब है शायद ही कुछ बचेगा , खारकीब में उनका यूनिवर्सिटी काफी खूबसूरत का जगह था जो अब खंडहर बन चुका है
इधर एमबीबीएस के छात्र रितेश कुमार सिंह ने कशिश न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि खारकीब में हमले के बाद दिन प्रतिदिन हालात बिगड़ता गया, हमले के बाद जान की सुरक्षाको लेकर सभी छात्र काफी भयभीत रहा करते थे , 18 लोगों का हमारा ग्रुप था बीते 1 मार्च को हमले के बाद सभी लोग हॉस्टल से सुबह 6 बजे पैदल ही रेलवे स्टेशन के लिए निकल गए, हॉस्टल से सौ मीटर निकले ही थे कि बमबारी की आवाज आने लगी, आवाज सुनकर ग्रुप के कुछ छात्र भागने लगे, लेकिन हम लोगों ने तय कर लिया कि पुनः हॉस्टल वापस नहीं जाना है किसी भी हाल में स्टेशन तक सफर करना है, जिसके बाद भागने वाले छात्र भी पीछे पीछे आने लगे, काफी ठंड के बीच हॉस्टल से 9 किलोमीटर पैदल सफर कर रेलवे स्टेशन पहुंचे ,उसी दौरान स्टेशन पर जानकारी मिला कि कर्नाटक के रहने वाले एक छात्र की हमले में मौत हो गई, स्टेशन पहुंचने के बाद लोगो के काफी भीड़ के बीच दो ट्रेनों पर चढ़ने का काफी प्रयास किया, लेकिन भीड़ के कारण चढ़ नहीं पा सके.