JHARKHAND NEWS : झारखंड में संगठनात्मक स्तर पर भाजपा में बदलाव का सीन हो रहा तैयार, कई नेता दौड़ में, यूपी में 46 से अधिक नेताओं की सूची तैयार

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The scene of change is being prepared in BJP at the organizational level in Jharkhand, many leaders are in the race, list of more than 46 leaders is r The scene of change is being prepared in BJP at the organizational level in Jharkhand, many leaders are in the race, list of more than 46 leaders is r

रांची : क्या झारखंड प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक स्तर पर बड़े बदलाव किये जायेंगे. उत्तरप्रदेश में पार्टी की करारी हार के बाद वहां पर प्रदेश और जिला स्तर के 46 से अधिक नामी-गिरामी नेताओं की सूची तैयार की गयी है, जिन पर गाज गिर सकती है. कमोबाश वही स्थिति झारखंड में भी देखने को मिलेगी. झारखंड प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष बदलने की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी को झारखंड में सिर्फ आठ सीटें ही मिली हैं. 2019 की तुलना में भाजपा की सीटें झारखंड में कम हुई है. 2019 में भाजपा को 11 सीटें मिली थीं, जबकि सहयोगी पार्टी आजसू को एक सीट मिली थी. एक सीट कांग्रेस और एक सीट झामुमो के खाते में गयी थी. वैसे भी इस बार इंडिया गंठबंधन के खाते में पांच सीटें आयी है, भाजपा आठ सीटें ही ला पायी. एक सीट पर आजसू ने अपनी जीत सुनिश्चित की है. लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद झारखंड प्रदेश भाजपा से केंद्रीय आलाकमान ने रिपोर्ट मांगी थी. इसके बाद से ही संगठनात्मक फेरबदल होने की सुगबुगाहट शुरू हो गयी है. इसको लेकर झारखंड विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता अमर कुमार बाउरी का नाम सबसे ऊपर चल रहा है. इन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि वर्तमान अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को राष्ट्रीय संगठन में भेजा जा सकता है. पार्टी झारखंड में आदिवासी चेहरे की तलाश भी कर रही है. इनमें विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा, कोचे मुंडा के नाम भी शामिल हैं. वैसे भाजपा अनुसूचित जनजाति मोरचा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे समीर उरांव के लोकसभा चुनाव हारने के बाद पार्टी जोखिम लेना नहीं चाहती है. पार्टी को खूंटी लोकसभा चुनाव में भी करारी हार मिली है, जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा चुनाव हारे हैं. पार्टी का मानना है कि खूंटी, चाईबासा, दुमका और लोहरदगा में भाजपा कैंडिडेट की हार से आदिवासी चेहरा अब सामने नहीं दिख रहा है, जिसके सहारे विधानसभा चुनाव की नैय्या पार की जा सके.