JUSTICE ! : मालकिन से रेप के जिस आरोपी को मिली थी 20 साल की सजा,हाईकोर्ट ने उसे कर दिया बरी..

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The High Court acquitted the servant accused of raping his mistress who was sentenced to 20 years. The High Court acquitted the servant accused of raping his mistress who was sentenced to 20 years.

Patna:-जिस नौकर को मालकिन से रेप के आरोप में निचली अदालत ने दोषी ठहराते हुए 20 साल की सजा सुनवाई थी,उसे पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया है.इससे दोषी नौकर को बड़ी राहत मिली है वहीं शिकायत करने वाली मालकिन को बड़ा झटका लगा है.


पटना हाई कोर्ट ने अपनी मालकिन से रेप किए जाने के मामले में अभियुक्त बनाए गए नौकर को साक्ष्य के आभाव में जेल से रिहा करने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पीड़ित महिला का बयान इतना सशक्त और इतना ठोस नहीं है कि केवल उसके मौखिक गवाही के आधार पर अपीलार्थी को बलात्कार जैसे जघन्य अपराध का दोषी करार दिया जा सके।जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह और जस्टिस नवनीत कुमार पांडे की खंडपीठ ने सुकुमार जाना की ओर से दायर आपराधिक अपील पर सुनवाई की।


इस पूरे मामले की सूचक, जो तथाकथित बलात्कार की पीड़िता है , उसने पुलिस में दर्ज कराई गई प्राथमिकी मे आरोप लगाते हुए कहा है कि उसके पति गया शहर में एक बड़े सार्वजनिक कंपनी में जब प्रबंधक के तौर पर पदस्थापित थे।उस समय अपीलार्थी जो उसके घर में नौकर था।उस ने चाय में नशे की दवा मिला कर पीड़िता को बेहोश कर उसके साथ बलात्कार किया था।आरोपी नौकर पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिला से आया था। उसने पीड़िता की नंगी तस्वीर को वायरल करने की धमकी देते हुए , पीड़िता के साथ दोबारा बलात्कार किया।प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि आरोपी पीड़िता को बदनाम कर देने की धमकी देते हुए हजारों रुपए ऐंठता रहा।

एक महीना के बाद जब पीड़िता के पति का स्थानांतरण गया से जब सहरसा हो गया, तब उससे आरोपी और उसकी पत्नी ने एक लाख रुपए का डिमांड किया।पीड़िता इस सब से परेशान होकर आत्म हत्या करने की कोशिश की जिसे उसके पति ने विफल कर दिया. बाद में पीड़िता ने इस मामले की पूरी जानकारी अपने पति को दी।जिसके बाद सहरसा थाने में इस अभियुक्त के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई.सहरसा के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के द्वारा वर्ष 2021 में अभियुक्त को इस मामले में दोषी करार देते हुए 20 वर्ष की सजा और 60 हजार का जुर्माना लगाया गया।अपीलार्थी ने अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के इसी आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी और हाईकोर्ट ने अपीलार्थी को बड़ी राहत देते हुए बरी कर दिया.


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