सुपौल में साकार हो रहा आत्मनिर्भर भारत का स्वरुप : आधुनिक तरीके से मछली उत्पादन से बदली सखुआ गांव की तस्वीर

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सुपौल : इन दिनों सुपौल ज़िले के पिपरा प्रखंड के युवा आत्मनिर्भर भारत के स्वरुप को साकार कर रहे हैं। सखुआ गांव के पांच युवकों ने अपनी जीतोड़ मेहनत और लगन से सफलता की जो इबारत लिखी है वो आस पास के इलाके के लोगों के लिए नज़ीर बन गया है.दरअसल इन लोगों ने आधुनिक तरीके से मछली पालन कर अपने आप को सबल बनाया है और इनके सबल बनने से इनका गांव भी आर्थिक सम्पन्नता की ओर बढ़ रहा है.इनलोगों ने बायोफलॉक विधि से मछली का उत्पादन कर रहे है इसके लिए इनलोगो ने 10 यूनिट की स्थापना की है जिससे इन्हे अच्छा उत्पादन मिल जाता है.

2014 में गांव के पांच युवाओं ने 25 एकड़ में इसकी शुरुआत की थी तब उत्पादन कम था लेकिन इन लोगो के अच्छे प्रयास और जीतोड़ मेहनत के बदौलत आज 40 एकड़ में सालाना 200 टन मछली का उत्पादन हो रहा है.अच्छी बात ये है की इनके उत्पादन को बाज़ार खोजने के लिए ज़्यादा मशक्क़त नहीं करनी पड़ती है. आसपास के चार ज़िलों में ही इनको बाजार मिल जाता है जिससे इन्हे मुनाफा भी ज़्यादा होता है।

इनके मेहनत की सराहना सूबे के मुखिया वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी कर चुके है. इस स्थल का बारीकी से ज़ायज़ा भी लिए थे।साथ ही युवाओं को इसके लिए प्रोत्साहित भी किया। मौके पर मुख्यमंत्री ने इसे प्रोत्साहन देने के लिए हर संभव सरकारी सहायता देने की भी बात कही। यही कारण है की विभागीय देखरेख के साथ साथ समय पर सरकारी सहायता भी दी जा रही है, और ओम साई एकवा फॉर्म का नाम आज प्रदेश भर में मशहूर हो गया है।

इस फर्म की देखरेख फिलहाल सुनिंद्र कुमार कर रहे हैं, सुनिंद्र कुमार पेशे से बिजली विभाग में इंजीनियर भी हैं ये कहते है कि नौकरी की समय के बाद जो भी समय बचता है वो इसी फार्म के देखरेख में लगा देते हैं। ताकि मत्स्य का अच्छा से उत्पादन हो सके। सुनिंद्र कुमार मत्स्य पालन के लिए इंडोनेशिया से ट्रेनिंग ले चुके है।

यही कारण है की आज बिहार सरकार के पहल से सुनिंद्र कुमार प्रदेश भर से आने वाले मत्स्य पालकों को इसके लिए प्रशिक्षण भी समय समय पर देते हैं। यानि कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है की सकारात्मक सोच कड़ी मेहनत और ढृढ़ निशाय का ही नतीजा है की इन युवकों ने सखुआ गांव की तस्वीर बदली है और सही मायने में ये ट्रेंड चेंजर है.

अमित सिंह की रिपोर्ट


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