...तो मुकेश सहनी के साथ जो हुआ, सबकुछ तय था? : 10 मार्च के बाद क्या हुआ? मुकेश सहनी को BJP ने कैसे दिया झटका, पढ़िए INSIDE STORY

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हाल ही में 17 मार्च को मुकेश सहनी ने कहा था- ''मैं फ्लॉवर नहीं, सन ऑफ मल्लाह हूं। मुझे दबाने की कोशिश कामयाब नहीं होगी।''

फिल्म लाइन से सियासत में उतरे मुकेश सहनी भले ही आज भी फिल्मी डॉयलॉग के ज़रिए खुद को फ्लॉवर नहीं समझने की चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन शायद रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है और ऐसा लगता है कि बिहार की सियासत की रियल लाइफ में मुकेश सहनी को सबने फ्लॉवर ही समझ रखा है। वो फ्लॉवर जिसे मुरझाने पर फेंक दिया जाता है। कुछ ऐसा ही मुकेश सहनी के साथ हो रहा है। यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मुकेश सहनी फायर बनने गए थे। 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और चुनाव प्रचार में बीजेपी के खिलाफ खूब आग भी उगला। लेकिन सभी सीटों पर करारी हार हुई तो बीजेपी नेताओं ने खुलकर फ्लॉवर समझकर एनडीए से बाहर निकालने की बात कहने लगे।

उधर बीजेपी नेता मुकेश सहनी पर सीधे वार कर रहे थे, इधर मुकेश सहनी का दिल बीजेपी के धुर विरोधी लालू के लिए धड़कने लगा। मुकेश सहनी ने खुलकर कहना शुरु कर दिया लालू उनके दिल में बसते हैं।

एनडीए में रहकर ही मुकेश सहनी का दिल ना सिर्फ लालू के लिए धड़कने लगा, बल्कि मुकेश सहनी ने तेजस्वी को ढ़ाई-ढ़ाई साल के सीएम के फार्मूले की शर्त पर समर्थन का भी ऑफर दे दिया।

इस बीचVIPके टिकट पर जीते मुसाफिर पासवान के निधन पर खाली हुई बोचहां सीट को लेकर उपचुनाव की सरगर्मी भी तेज थी और होली के एक दिन पहले बीजेपी ने मुकेश सहनी को झटका देते हुए अपना उम्मीदवार उतार दिया। बीजेपी ने बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाया, जिस पर मुकेश सहनी ने तंज कसते हुए बीजेपी को होली का तोहफा देने के लिए धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया। वहीं मुकेश सहनी ने भी बोचहां से लड़ने का ऐलान किया। जिस पर बीजेपी नेताओं ने भी पलटवार किया।

वहीं जब सहनी दिल्ली में मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में जुटे थे, ठीक उसी वक्त अमर पासवान आरजेडी कार्यालय पहुंचे, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मुलाकात की और आरजेडी की सदस्यता ले ली। अमर पासवान ने दावा किया कि आरजेडी के टिकट पर बोचहां से वो चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ दिल्ली में मुकेश सहनी खुद को अनजान बताते रहे।

दूसरी तरफ 21 मार्च को ही शाम होते-होते बोचहां से कई सालों तक विधायक रहे आरजेडी नेता रमई राम मुकेश सहनी के साथ चले गए। रमई राम अपनी बेटी गीता कुमारी के साथ मुकेश सहनी की मौजूदगी में VIP की सदस्यता ले ली। गीता कुमारी को मुकेश सहनी ने बोचहां से VIP उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। यानी VIP और आरजेडी के बीच एक तरह से उम्मीदवारों का ये एक्सचेंज हो गया।

लेकिन मुकेश सहनी के पैरों तले ज़मीन खिसकना तो अभी बाकी था। खुद को फायर समझने वाले मुकेश सहनी को फ्लॉवर बनाने की पूरी तैयारी बीजेपी ने कर रखी थी और उसे अंजाम देने की तारीख चुनी गई 23 मार्च। 23 मार्च की शाम अचानक विधानसभा में हलचल तेज हुई। बोचहां से VIP उम्मीदवार गीता कुमारी के नामांकन के लिए मुकेश सहनी एक तरफ मुजफ्फरपुर में थे, दूसरी तरफ पटना में मुकेश सहनी को बड़ा झटका दिया जा रहा था। VIP के तीनों विधायक मिश्रीलाल यादव, मिश्रीलाल यादव, राजू सिंह और स्वर्णा सिंह, दोनो डिप्टी सीएम और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल के साथ विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के पास पहुंचे और बीजेपी में विलय का समर्थन पत्र सौंप दिया। इसके साथ ही स्पीकर ने तीनों विधायक को बीजेपी विधायक के रूप में मान्यता दे दी...इसके बाद बीजेपी कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में तीनों विधायकों का बीजेपी में स्वागत किया गया।

बीजेपी के इस कदम के बाद मुकेश सहनी पार्टी में अलग-थलग पड़ गए। उनकी पार्टी में कोई विधायक नहीं बचा। एकमात्र एमएलसी और मंत्री रह गए मुकेश सहनी, वो भी बीजेपी और जेडीयू के रहमोकरम पर। क्योंकि 26 जुलाई को मुकेश सहनी के एमएलसी का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे कि क्या मुकेश सहनी मंत्रीपद से इस्तीफा देंगे। सवाल का जवाब देने अगले दिन 24 मार्च को मुकेश सहनी आए और बीजेपी पर हमला करते हुए दो टूक कह दिया इस्तीफा नहीं देंगे। सीएम चाहें तो हटा दें।

ज़ाहिर है मुकेश सहनी जो खुद को फायर बताकर बीजेपी के खिलाफ आग उगलते रहे, बीजेपी ने फ्लॉवर बनाकर छोड़ दिया है। जिसे आज या कल सरकार से बाहर किया जाना तय है। लेकिनएक बात साफ है सियासी शतरंज का मोहरा हैं मुकेश सहनी, लेकिन किसके मोहरा हैं. इसका जवाब आने वाले दिनों में पता चल सकता है। सवाल ये भी कि मुकेश सहनी का कूपन कौन रिचार्ज करेगा?


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