सियासत का ‘चारा’ ! : ...तब नीतीश ने लालू पर केस करने से किया था इंकार, आज जो लालू के साथ, उन्होने किया था मुकदमे का वार

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शिवानंद तिवारी (वर्तमान में लालू के साथ), वृषिण पटेल (वर्तमान में लालू के साथ), प्रेमचंद्र मिश्रा (वर्तमान में कांग्रेसMLC, लालू के शुभचिंतक)

साल 1996 में जब चारा घोटाले के मामले ने बिहार की सियासत में खलबली मचाई थी। तब लालू के विरोधियों ने चारा के बहाने लालू की जमी जमाई सियासत की जड़ें खोदनी शुरु कर दी। इसके लिए चारा घोटाला मामले की सीबीआई जांच के लिए पटना हाईकोर्ट मेंPIL दायर किया गया। जिसमें सुशील मोदी, रविशंकर प्रसाद के साथ वो तीन चेहरे शिवानंद तिवारी, वृषिण पटेल और प्रेमचंद्र मिश्रा भी शामिल थे। जो आज लालू के साथ या लालू के शुभचिंतक माने जाते हैं। तो क्या लालू आज अगर चारे के चक्रव्यूह में बुरी तरह से फंसे तो इसकी वजह आज उनके साथ खड़े होने वाले अपने ही हैं? सीएम नीतीश और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने भी अपने बयान में यही इशारा करते हुए तंज कसा है कि जिन्होने केस किया वो तो आज लालू के साथ ही हैं।

सीएम नीतीश ने तो यहां तक कहा कि उस वक्तPIL दायर करने वाले उनके पास भी आए थे साथ चलने के लिए। लेकिन उन्होने लालू पर केस करने से मना कर दिया था। हालांकि लालू को सज़ा होने के बाद लालू के ट्वीट और उनके छोटे बेटे और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बयान से ऐसा लगता है कि मानो उन्हें किसी राजनीतिक साज़िश का शिकार बनाया गया हो, लेकिन इस आरोप का जवाब सुशील मोदी ने भी दिया।

सवाल है कि 950 करोड़ के चारा घोटाला मामले में कोर्ट ने सज़ा सुनाई तो उस पर सियासी तड़का क्यों लगाया जा रहा है। क्या चारा के बहाने सियासत होती रही, या फिर कोर्ट के फैसले के बहाने सियासत का‘चारा’ डालने की कोशिश है।


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