वैश्विक मंचों पर बिहार की गूंज : PM मोदी ने प्रवासी बिहारी समुदाय और सांस्कृतिक धरोहर को दिलाया अंतर्राष्ट्रीय सम्मान और विशेष पहचान
PATNA : देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय दौरों में बिहार की सांस्कृतिक विरासत और प्रवासी बिहारी समुदाय को विशेष रूप से सम्मान और पहचान दी है। चाहे वह प्रवासी भारतीयों से संवाद हो या वैश्विक मंचों पर बिहार की ऐतिहासिक धरोहर को उजागर करने की बात हो, पीएम मोदी ने बिहार की पहचान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती दी है।
बिहार और प्रवासी भारतीयों से पीएम मोदी का जुड़ाव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन देशों में जहां बिहारी समुदाय की मजबूत मौजूदगी है, वहां विशेष कार्यक्रमों में भाग लिया और प्रवासी बिहारियों के योगदान को सराहा। उनके नेतृत्व में बिहार के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं को वैश्विक पहचान मिली।
1. मॉरीशस दौरा : बिहार की जड़ों से जुड़ा एक ऐतिहासिक संबंध
पीएम मोदी 11-12 मार्च 2025 को मॉरीशस की यात्रा करेंगे, जो उनकी 2015 के बाद दूसरी यात्रा होगी। मॉरीशस की 12 लाख जनसंख्या में लगभग 70% भारतीय मूल के लोग हैं, जिनमें से अधिकांश बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से हैं।
मॉरीशस में बिहार की झलक:
गिरमिटिया मजदूरों का इतिहास :19वीं सदी में बिहार से मॉरीशस पहुंचे गिरमिटिया मजदूरों की याद में भारत ने वहां कई विकास परियोजनाएं शुरू की हैं। पिछली यात्रा में पीएम मोदी ने मॉरीशस के अपना घर प्रवासी केंद्र का दौरा किया था और प्रवासी भारतीयों को भारत के विकास से जोड़ने की बात कही थी।
2. गयाना, सूरीनाम और त्रिनिदाद एवं टोबैगो : बिहारी प्रवासियों का योगदान
प्रधानमंत्री मोदी ने 2024 में गयाना का दौरा किया और भारतीय प्रवासी समुदाय के साथ संबंध मजबूत किए। गयाना में 3.2 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकांश बिहार से आए थे। पीएम मोदी ने उन्हें भारत के विकास का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया।
सूरीनाम :यहां की 27% से अधिक जनसंख्या भारतीय मूल की है। 2023 में पीएम मोदी ने सूरीनाम के राष्ट्रपति को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया था।
त्रिनिदाद एवं टोबैगो : यहां 5.5 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जिनमें से अधिकतर के पूर्वज बिहार से हैं। वहीं, फिजी और सेशल्स की बात करें तो यहां बिहार के सांस्कृतिक प्रभाव को सम्मान मिला है।
फिजी यात्रा (2014) : फिजी यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने 3 लाख भारतीय मूल के लोगों से मुलाकात की और बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को याद किया।
सेशल्स यात्रा (2015) :साल 2015 की सेशेल्स यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय को संबोधित किया और बिहार से आए प्रवासी समुदाय के योगदान की सराहना की।
4. कुवैत यात्रा : बिहारी श्रमिकों से सीधा संवाद
हाल ही में कुवैत यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने मीना अब्दुल्ला के श्रमिक शिविर में भारतीय श्रमिकों से मुलाकात की। एक बिहारी श्रमिक ने अपने जिले में हवाई अड्डे के निर्माण की इच्छा व्यक्त की, जिस पर पीएम मोदी ने "मोदी की गारंटी" देते हुए सकारात्मक संकेत दिया। यह दर्शाता है कि वे प्रवासी बिहारियों की आकांक्षाओं को कितनी गंभीरता से लेते हैं।
बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को वैश्विक मंच पर पहचान
प्रधानमंत्री मोदी ने बिहार की कला, संस्कृति और ऐतिहासिक विरासत को विश्व स्तर पर प्रस्तुत किया।
1. नालंदा विश्वविद्यालय को वैश्विक मान्यता
G20 शिखर सम्मेलन 2023 : भारत की मेजबानी में हुए इस सम्मेलन में नालंदा विश्वविद्यालय की छवि स्वागत क्षेत्र की पृष्ठभूमि में रखी गई थी, जो बिहार की बौद्धिक विरासत का प्रतीक है।
2. मधुबनी पेंटिंग को अंतर्राष्ट्रीय पहचान
2024 (गयाना) :पीएम मोदी ने गयाना के राष्ट्रपति को बिहार की मिथिला क्षेत्र की प्रसिद्ध मधुबनी पेंटिंग भेंट की।
2018 (सिंगापुर) : पीएम मोदी ने रुपे कार्ड का उपयोग करके इंडियन हेरिटेज सेंटर से मधुबनी पेंटिंग खरीदी।
2015 (जर्मनी) :पीएम मोदी ने हनोवर के मेयर को राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता कलाकार बऊआ देवी द्वारा बनाई गई मधुबनी पेंटिंग भेंट की।
3. अमेरिकी और फ्रांस यात्रा में बिहार की लोककला को बढ़ावा
हाल ही में अमेरिका और फ्रांस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने अमेरिका के उपराष्ट्रपति के बेटे को भारतीय लोक कलाओं पर आधारित जिग्सॉ पज़ल उपहार में दिया, जिसमें बिहार की लोककला भी शामिल थी।
बिहार को वैश्विक पहचान दिलाने में पीएम मोदी की भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अंतर्राष्ट्रीय दौरों के माध्यम से बिहार की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत किया। उन्होंने न केवल प्रवासी बिहारी समुदाय से संवाद कर उनके योगदान को स्वीकार किया बल्कि बिहार की मधुबनी पेंटिंग, नालंदा विश्वविद्यालय और गिरमिटिया मजदूरों के इतिहास को भी दुनिया के सामने रखा।
मुख्य बिंदु :
✔ प्रवासी बिहारी समुदाय को सम्मान :मॉरीशस, गयाना, त्रिनिदाद, कुवैत, फिजी आदि में बिहारी समुदाय से संवाद।
✔ बिहार की कला और संस्कृति को बढ़ावा :मधुबनी पेंटिंग, नालंदा विश्वविद्यालय को वैश्विक पहचान।
✔ प्रवासी श्रमिकों की आकांक्षाओं को सुना : कुवैत में बिहारी श्रमिक से मुलाकात और उनकी मांगों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया।
पीएम मोदी का यह प्रयास बिहार की वैश्विक पहचान को मजबूत करने और प्रवासी बिहारी समुदाय को भारत से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बिहार के लिए एक नए युग की शुरुआत को दर्शाता है, जहां उसकी विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उचित सम्मान मिल रहा है।