महाशिवरात्रि आज : भोजपुर के अंधारी गांव में बाल शिवभक्तों ने निभाई 35 साल पुरानी परंपरा, सोन नदी से जल लाकर किया सामूहिक जलाभिषेक

Edited By:  |
 On Mahashivratri child Shiva devotees performed 35 years old tradition in Andhari village of Bhojpur.  On Mahashivratri child Shiva devotees performed 35 years old tradition in Andhari village of Bhojpur.

BHOJPUR : भोजपुर जिले के सहार प्रखंड के अंधारी गांव में सावन माह की पावन परंपरा को निभाते हुए बाल शिवभक्तों ने पूरे भक्ति भाव से जलाभिषेक किया। गांव के छोटे-छोटे बच्चों ने सोन नदी से पवित्र जल लेकर पूरे गांव के शिव मंदिरों में सामूहिक रूप से जल अर्पित किया।

बाल शिवभक्तों ने निभाई 35 साल पुरानी परंपरा

यह परंपरा पिछले 35 वर्षों से चली आ रही है, जिसे गांव के लोग श्रद्धा और भक्ति से निभाते आ रहे हैं। इस विशेष आयोजन में गांव के बालक-बालिकाओं सहित युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया और पूरे गांव को शिवमय बना दिया। जलाभिषेक के दौरान "हर-हर महादेव" और "बम बम भोले" के गगनभेदी जयकारों से पूरा गांव भक्तिमय हो गया। इस आयोजन का संयोजन राकेश कुमार और रविशंकर प्रसाद ने किया, जिन्होंने बच्चों और युवाओं को संगठित कर इस भव्य आयोजन को सफल बनाया। इस दौरान श्रद्धालु भगवान शिव की स्तुति और भजन-कीर्तन में लीन दिखे।

सोन नदी से जल लाकर किया सामूहिक जलाभिषेक

गांव के बुजुर्गों ने बताया कि यह परंपरा 35 साल पहले गांव के बुजुर्ग भक्तों द्वारा शुरू की गई थी, जो आज भी पूरी निष्ठा के साथ निभाई जा रही है। आयोजन का उद्देश्य गांव के बच्चों और युवाओं में धार्मिक आस्था, एकता और संस्कारों का संचार करना है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस जलाभिषेक से पूरे गांव में शांति, समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। आयोजन के अंत में महाप्रसाद का भी वितरण किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।

संक्षेप में इस आयोजन की खास बातें :

✔ सोन नदी से जल लेकर शिव मंदिरों में जलाभिषेक

✔ 35 साल से चली आ रही परंपरा को निभाया गया

✔ गांव के बच्चों, युवाओं और श्रद्धालुओं की भव्य भागीदारी

✔ "हर-हर महादेव" के गगनभेदी जयकारों से गूंजा गांव

✔ आयोजन के संयोजक: राकेश कुमार और रविशंकर प्रसाद

✔ महाप्रसाद वितरण के साथ भक्तिमय माहौल में कार्यक्रम का समापन

इस आयोजन ने गांव में भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना दिया और आने वाली पीढ़ियों के लिए धार्मिक परंपराओं को सहेजने का संदेश दिया।