मुजफ्फरपुर में है भगवान शिव का रहस्यमय मंदिर : 2 उफनती नदियां करती हैं महादेव का जलाभिषेक, दर्शन मात्र से मनोकामना पूर्ण

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मुजफ्फरपुर : इस धरती पर भगवान भोलेनाथ के करोड़ो मंदिर हैं। शिव भगवान शिव के कई प्रसिद्द मंदिरों में केदारनाथ, सोमनाथ, काशी विश्‍वनाथ, अमरनाथ, लिंगराज आदि में रोजाना शिव भक्तों का जनसैलाब उमड़ता है। ऐसे प्रत्येक मंदिर अपने-अपने इतिहास के लिए देशभर में प्रसद्धि है। वहीं भगवान शिव के कुछ ऐसे मंदिर भी है जिनके बारे में लोगों को पता नहीं। आज हम हमको ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसकी खासियत यह है कि यहां भोलेनाथ का जलाभिषेक साल के 6 माह चौबीसों घंटे जलाभिषेक होता रहता है और यह जलाभिषेक कोई शिवभक्त नहीं बल्कि उफनाती हुई दो नदियां करती हैं।


दो नदियां करती है महादेव का जलाभिषेक

महादेव का यह मंदिर धनेश्वर नाथ मंदिर के नाम से बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से 40 किलोमीटर दूरी पर मौजूद कटरा और धनौर के बीच अवस्थित है। वर्षों से सावन माह की शुरुआत से ही इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक निरंतर होता चला आया है। खास बात यह है कि यह जलाभिषेक कोई शिवभक्त नहीं बल्कि दो नदियां करती आयीं है। ये नदियां हैं बागमती और लखनदई जिसका संगम कटरा में होता है। सावन में बागमती नदी में जलस्तर तेजी से बढ़ोतरी के बाद लोगों के दर्शन में पूरी तरह से रोक लग गई है। मंदिर तक पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह मंदिर अपने आप में एक कौतुहल का विषय है।

हर मुराद होती है पूरी

बताया जा रहा है कि जनवरी माह से सावन के पहले तक मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लोग दूर दूर से यहां पूजा करने आते हैं। भक्त मानते हैं कि यहां सच्चे दिल से मांगी गई मुराद सदैव पूरी होती है। श्रद्धालुओं का कहना हैं बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर में जो कोई भक्त भगवान के इस अदभुत रूप के दर्शन कर लेता है उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। ग्रामीण बताते हैं रामायण काल से यह मंदिर बागमती नदी की बीच धारा के बीच अवस्थित है। यह इलाका बाढ़ग्रस्त इलाका है। सैकड़ों घर तहस-नहस हो जाते हैं कई पुल ध्वस्त हो जाते हैं। लेकिन प्रलयकारी बाढ़ भी कभी इस मंदिर का बाल बांका नहीं कर पाया।

वही मंदिर के पुजारी शंकर सिंह उर्फ दानी बताते हैं बचपन से ही महादेव मंदिर की पूजा अर्चना करते आ रहे या महादेव मंदिर बागमती नदी के बीच धार में अवस्थित है हम लोगों के द्वारा दूसरी जगह अवस्थित करने का निर्णय लिया लेकिन सब व्यर्थ।


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