सरपंच से मुख्यमंत्री तक का सफर : विधानसभा स्पीकर पर दाल फेंकने वाले आज बनेंगे ओडिशा के CM, स्वभाव से हैं बेहद आक्रामक, जानिए हैं कौन
NEWS DESK : ओडिशा में बीजेपी राज स्थापित होने जा रहा है। जी हां, बुधवार की शाम मोहन चरण माझी ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। उनके शपथ लेने के साथ ही बीजेपी का सालों पुराना सपना पूरा हो जाएगा। वे ओडिशा के 15वें और बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री होंगे।
मोहन चरण माझी लेंगे CM पद की शपथ
मोहन चरण माझी के साथ-साथ दो डिप्टी सीएम भी शपथ लेंगे। ओडिशा के उपमुख्यमंत्री के तौर पर पार्वती परीदा और केवी सिंह देव भी ओथ लेंगे। 52 साल के मोहन चरण माझी आदिवासी समुदाय से आते हैं। वे ओडिशा में बीजेपी के पहले मुख्ममंत्री होंगे। मोहन चरण माझी की गिनती तेजतर्रार आदिवासी नेताओं में होती है। वे सियासी गलियारे में तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने ओडिशा विधानसभा अध्यक्ष के ऊपर दाल फेंक दी थी। वे चार बार विधायक चुने गये हैं। उन्हें आक्रामक तेवरों के लिए जाना जाता है।
संघ में है मजबूत पकड़
सियासी गलियारे में इस बात की खूब चर्चा है कि मोहन चरण माझी की संघ में मजबूत पकड़ है। इन्हें बीजेपी का समर्पित कार्यकर्ता माना जाता है। सरपंच से अपने सियासी सफर की शुरुआत करने वाले मोहन चरण माझी जब पहली बार विधायक बने थे, तब नवीन पटनायक पहली बार ओडिशा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे।
क्योंझर सदर क्षेत्र के रायकला में पले-बढ़े माझी ने एक छात्र के रूप में ही अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। वह अपने समुदाय के लिए काम करने के लिए हमेशा तत्पर रहे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और आरएसएस के संचालित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में कुछ समय तक पढ़ाया। उसके बाद 1997 से 2000 तक वे एक निर्वाचित सरपंच के रूप में राजनीति में आए और फिर पहली बार विधायक बने।
संगठन में काम करने का है शानदार अनुभव
कहा जाता है कि मोहन चरण माझी को संगठन में काम करने का अच्छा-खासा अनुभव भी है। आदिवासी बहुल इस राज्य में बीजेपी ने आदिवासी चेहरे पर ही अपना दांव खेला है। ओडिशा की 4 करोड़ से अधिक की आबादी में आदिवासियों की जनसंख्या एक करोड़ के आस-पास मानी जाती है। करीब 30 से 35 सीटों पर यहां आदिवासियों का वर्चस्व है।
6 जनवरी 1972 को जन्म लेने वाले मोहन चरण माझी की धर्मपत्नी का नाम डॉ. प्रियंका मरांडी है। ओडिशा के होने वाले मुख्यमंत्री राज्य के आदिवासी मोर्चा में काम कर चुके हैं। क्योंझर जिले के क्योंझर सदर पुलिस स्टेशन के रायकला गांव के मूल निवासी हैं और माझी संथाल जनजाति से आते हैं। इस जनजाति के लोग की अधिक संख्या झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में है।
मोहन चरण माझी के बैकग्राउंड की बात करें तो उन्होंने अपनी सियासत की शुरुआत गांव से ही की। वे 1997 में सबसे पहले सरपंच बने थे। साल 2000 में बीजेपी ने माझी को क्योंझर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया। शीर्ष नेतृत्व के फैसले को सही साबित करते हुए उन्होंने ये सीट जीत कर पार्टी की झोली में डाल दी। इसके बाद साल 2009 में बीजेपी ने फिर से माझी पर दांव लगाया। वे क्योंझर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और फिर जीते। 2019 में ये फिर से इसी सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और परचम लहराया।
चौथी बार बने विधायक
मोहन चरण माझी 2024 में चौथी बार इसी विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। इस बार के चुनाव में मोहन चरण माझी को कुल 87,815 वोट मिले और उन्होंने बीजू जनता दल की मीना माझी को 11,577 वोटों के बड़े अंतर से मात दी है। उन्हें बेहद ही आक्रामक स्वभाव का नेता माना जाता है।
विधानसभा स्पीकर पर फेंकी थी दाल
ओडिशा के सियासी गलियारे में इनकी स्टोरी काफी फेमस है, जब इन्होंने मिड-डे मील में करोड़ों रुपये के घोटाले को उजागर करने के लिए विधानसभा में स्पीकर पर ही दाल फेंक दी थी। ये घटना उसवक्त सियासी गलियारे में काफी सुर्खियां बंटोरी थी। इसके बाद उन्हें ओडिशा विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था।
फिलहाल आदिवासी समाज से आने वाले मोहन चरण माझी पर बीजेपी ने भरोसा जताया है, जो आज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।