लहराया परचम : नक्सलियों के गढ गया के बाराचट्टी की कई बेटियां बनी दारोगा ..
Sherghati:-गया की नक्सल प्रभावित बाराचट्टी प्रखंड की चार बेटियों और एक बेटे ने दारोगा बनने में सफलता पाई है..नक्सलियों के खौफ के बीच बड़े बड़ी हुई ये बेटियां दारोगा बनकर जहां एक तरफ परिवार को मान बढाया है वहीं नक्सलियों संगठनों को भी खुली चेतवानी दी है कि अब उनकी मनमानी नहीं चलने वाली है.
जिन बेटियों ने दारोगा का परीक्षा में सफलता पाई है,उसमें धनगाई थाना क्षेत्र की डॉली कुमारी है.डॉली की सफलता से परिवार और गांव के लोग काफी खुश हैं.कशिश न्यूज से बात करते हुए डॉली कुमारी ने कहा कि हम पांच भाई बहन हैं जिनमें मेरा स्थान चौथा है.मैने बाराचट्टी से प्रारंभिक पढ़ाई की है उसके बाद गया कॉलेज से बीएससी आईटी किया. सेल्फ स्टडी के लिए हमने पटना का रुख किया और पटना में ही रह कर पढ़ाई की. उसके बाद प्रथम बार दरोगा की एग्जाम में बैठी और सफलता पाई.वहीं डॉली की सफलता से उत्साहित उनके पिताजी ने कहा कि उनकी बेटी शुरू से ही पढ़ने में मेधावी थी और आज वह सफलता हासिल कर क्षेत्र का नाम रोशन किया है वही डोली की माता उमा भारती कहती है कि मैं तो खुद ही 8 वी पास हैं लेकिन सभी बच्चों को हमने काफी दुख तकलीफ सहकर पढाया है इसका फल आज मुझे बेटी ने दारोगा बन कर मुझे दिया है.
वहीं बाराचट्टी के बढिया गांव की संगीता ने भी दारोगा बनने में सफलता पाई है.संगीता कुमारी की पढ़ाई सरवा बाजार से ही हुई थी बाद में उन्होंने गया में रहकर पढ़ाई की है.कशिश न्यूज से बात करते हुए संगीता ने कहा कि उनके मात-पिता ने काफी मेहनत से पढाया और 2020 में उनकी शादी रेलवे में टेक्नीशियन की नौकरी करने वाले युवक से कर दी.शादी के बाद उनके पति ने पढाई के लिए हमेशा उनका उत्साह वर्धन किया,जिसकी वजह से वह दारोगा की परीक्षा में सफल हुई है.संगीता ने कहा कि वह एक बच्चे की मां भी हैं,और ससुराल में सभी काम भी उसे करना होता था.फिर भी सुबह 3:00 बजे उठकर मैदान में दौड़ने के लिए जाती थी.वहीं संगीता के पिता विजय प्रसाद ने बताया कि हमलग पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन हम लोगों को पढ़ाई के प्रति काफी झुकाव रहा है और हम लोग कड़ी मेहनत कर सभी बच्चों को पढ़ाया जिसका आज फल हमें मिला.
इसके साथ ही बाराचट्टी थाना क्षेत्र के सरवा बाजार का राजनेता कुमार को भी दरोगा की परीक्षा में सफलता मिली है.राजनेता कुमार दो भाइयों में सबसे बड़े हैं पिछले साल कोरोना काल में उनके पिता की मौत हो गई थी और छोटे भाई भी गया में रहकर पढ़ाई करते हैं. राजनेता की माता आंगनवाड़ी सहायिका है।राजनेता की मां किसी तरह पति के गुजर जाने के बाद दोनों बच्चों को गया में रखकर पढ़ाई करवाया। वही राजनेता और उनके भाई दोनों गया में रहकर बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर पढ़ाई का खर्चा निकाला और कठिन परिश्रम कर एग्जाम पास किया और दरोगा बन गए।