JHARKHAND NEWS : मैथिली साहित्य का अनुपम महाकाव्य ॐ महाभारत पर परिचर्चा, त्रिदिवसीय विद्यापति पर्व समारोह का शुभारंभ
रांची: झारखण्ड मैथिली मंच के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व रजत जयंती समारोह के पहले दिन प्रातः 9 बजे मिथिला के पारंपरिक परिधान में बड़ी संख्या में सदस्यों ने विद्यापति दलान हरमू से पैदल चलकर मेन रोड पहुंच कर महाकवि विद्यापति के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. पुनः वापस दलान पर आए. सभी एक साथ चूरा-दही एवं पूरी सब्जी अल्पाहार का आनंद लिए.
इसके बाद प्रथम सत्र में बुद्धिनाथ झा रचित मैथिली ऐतिहासिक महाकाव्य ॐ महाभारत पर परिचर्चा हुई. कार्यक्रम की शुरुआत मिथिला परंपरा के अनुसार विद्यापति रचित जय जय भैरवि असुर भयाऊनि समूह गान से हुई. तत्पश्चात बाबा विद्यापति के चित्र पर पुष्पान्जलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई. तदुपरांत आज के मुख्य अतिथि माननीय पूर्व डिप्टी मेयर अजय नाथ शाहदेव के द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. शाहदेव ने ऐसे आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि हम आपके अपने अंग हैं जिस किसी को भी मेरी सेवा की जरूरत होगी हम सदैव तत्पर रहेंगे. अध्यक्ष विनय कुमार झा ने आगत अतिथियों का अभिनंदन किया.विद्या नाथ झा विदित ने अतिथियों का स्वागत किया.
मैथिली भाषा में महाकाव्य महाभारत रचनाकार बुद्धि नाथ झा,(मूल निवासी,नागदह,मधुबनी वर्तमान में बोकारो में प्रवासी )
उक्त महाकाव्य भारी-भरकम तीन खंड में है. महाकाव्य पर बहुत ही सार्थक समीक्षा परिचर्चा हुई. इसमें हित नाथ झा,हिरेन्द्र कुमार झा,शैलजा झा,बुद्धि नाथ झा,आदि ने अपने बहुमूल्य विचार रखे. संचालन हित नाथ झा के द्वारा संपन्न हुआ. इसके बाद उड़ीसा पधारी सरोज झा,एवं ममता मिश्र का अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया.
भोजनावकाश के बाद द्वितीय सत्र में कवि गोष्ठी प्रारंभ हुआ. इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि बुद्धि नाथ झा बोकारो,ने की. मंच संचालन बदरी नाथ झा के द्वारा किया गया.
कवियों में सुकुमार नाथ झा, अंजु झा, विनोद कुमार झा, शैलजा झा, उमेश मंडल, कौशल किशोर झा, हित नाथ झा, सिया राम झा सरस, डा. कृष्ण मोहन झा, विजेन्द्र उपाध्याय आदि ने अपने-अपने तरीके से प्रबुद्ध सुधी श्रोता को शृंगार रस वीर रस,वियोगी, भक्ति एवं भाव- बिभोर कर दिया. लोगों को खूब गुदगुदाया एवं ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया. जयन्त कुमार झा ने उदगार व्यक्त करते हुए उपस्थित लोगों के प्रति आभार प्रकट किया. अंत में संरक्षक अरूण कुमार झा ने उदगार व्यक्त करते हुए विद्वानों का आह्वान किया कि अपनी क्षमता का उपयोग करते हुए सार्थक रचना से साहित्यिक धरोहर को आगे बढ़ाने का काम करें. मोहन झा पड़ोसी ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में नन्द किशोर महतो, ब्रज किशोर झा, रंधीर झा, बाबू लाल झा, ब्रज कुमार झा, कैलाश झा, प्रकाश चन्द्र झा, इन्द्र जीत यादव, नारायण तिवारी, संतोष कुमार झा, नरेश झा सहित काफी संख्या में सदस्यों ने भागीदारी निभाई.