JHARKHAND NEWS : चिरौ बेड़ा गांव में पानी के लिए त्राहिमाम, सरकार की जल नल योजना बनी दिखावा

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SIMDEGA : जहां एक ओर भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी ओर चिरौ बेड़ा गांव में बुनियादी सुविधाओं की कमी के चलते ग्रामीणों का जीवन दुरूह बना हुआ है, यहां के लोग बालू खोदकर पीने का पानी ढूंढने को मजबूर हैं जबकि जल नल योजना महज एक साल ही प्रभावी रही इसके बाद नलों ने सूखने का सिलसिला शुरू कर दिया। सदर प्रखंड के कुलुकेरा बनाबिरा पंचायत के चिरौ बेड़ा गांव में करीब 26 घर हैं, इस गांव तक पहुंचने के लिए न तो पक्की सड़क है और न ही कोई चार पहिया वाहन यहां तक पहुंच सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि पानी के संकट से वे बेहद परेशान हैं और बालू में गड्ढा खोदकर मुश्किल से पानी जुटाते हैं, जो गंदा और असुरक्षित होता है।

तीन साल पहले राज्य सरकार ने जल नल योजना के तहत गांव में पाइपलाइन डालने का काम किया था, लेकिन योजना सिर्फ एक साल तक ही असरदार रही। बाद में नल सूख गए और योजना ठप हो गई, इसके कारण गांव वालों को अब भी पीने के पानी के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में जल संकट के अलावा स्वास्थ्य सुविधाओं का भी अभाव है, यहां न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है और न ही स्कूल ग्रामीणों का कहना है कि आज तक कोई जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी गांव में नहीं आया है। हाल ही में आदिवासी कांग्रेस नेता दिलीप तिर्की गांव पहुंचे और ग्रामीणों से मुलाकात की, उन्होंने बताया आज तक किसी ने हमारा हाल नहीं पूछा ना नेता और ना ही सरकार।

चिरौ बेड़ा गांव की स्थिति केवल पानी और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित नहीं है, बरसात के मौसम में यह गांव पूरी तरह से दुनिया से कट जाता है। बीमार या गर्भवती महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्रामीण चारपाई को ही एम्बुलेंस बना लेते हैं और कई किलोमीटर का कच्चा रास्ता तय करके मुख्य सड़क तक पहुंचते हैं।