जमीन पर बैठ कर परीक्षा दे रहे छात्र : हाजीपुर का VIDEO VIRAL,स्कूल में नहीं है बेंच-डेस्क
HAJIPUR:बिहार सरकार भले की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लाख दावे करें लेकिन इसका जमीनी सच बेहद चौंकाने वाला है। वैशाली जिले के शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक के स्कूलों की हालत बेहद खस्ता हाल है। भवन तो जर्जर हैं ही स्कूल में बेंच डेस्क तक नहीं है। बच्चे जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं और बारिश अगर ज्यादा होती है तो बच्चों को पढ़ाई से छुट्टी दे दी जाती है। इसी क्रम में जिले के एक स्कूल का वीडियो सामने आया है जिसमें आठवीं क्लास परीक्षा बच्चे की झुंड बनाकर जमीन पर बैठकर देने को मजबूर हैं।
वैशाली के सहदेई बुजुर्ग प्रखंड में सरकारी विद्यालयों के बच्चे जमीन पर बैठकर परीक्षा देने और पढ़ने को मजबूर हैं। बताया जाता है कि पूरे प्रखंड क्षेत्र के सभी सरकारी विद्यालयों में बेंच डेस्क की भारी कमी है जिसके कारण बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना और परीक्षा देना पड़ रहा है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार बिहार शिक्षा परियोजना के निर्देश पर 12 सितंबर से सभी सरकारी प्राथमिक,मध्य विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के अर्धवार्षिक मूल्यांकन का कार्य प्रारंभ हुआ है जो 18 सितंबर तक चलेगा. प्रखंड में 45 मध्य एवं 40 प्राथमिक विद्यालय संचालित हैं।
एक-दो विद्यालयों को छोड़कर लगभग सभी विद्यालयों में बेंच डेस्क की भारी कमी है। प्रायः सरकारी मध्य विद्यालयों में ऊपर क्लास के बच्चे बेंच डेस्क पर बैठकर पढ़ाई कर पाते हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालयों में भी केवल कक्षा चार-पांच के लिए ही बेंच डेस्क उपलब्ध है। लगभग सभी नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों में बेंच डेस्क है ही नहीं है। बच्चे या तो अपने घरों से बैठने के लिए बोरा या अन्य साधन लेकर आते हैं या फिर वह जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. ठंड, गर्मी व बरसात चाहे कोई भी मौसम हो बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ने एवं परीक्षा देने को मजबूर हैं।
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक विल्सन कुमार ने बताया कि कई बार विभाग को इस संबंध में लिखा गया है। विद्यालय में बेंच डेस्क की भारी कमी है उसको दूर करना जरूरी है। मजबूरी में बच्चों का एग्जाम और पढ़ाई जमीन पर होता है। वहीं परीक्षा दे रहे छात्र विकास कुमार बताते हैं कि ज्यादातर बच्चों को जमीन पर बैठकर परीक्षा देना पड़ता है।
एक ओर सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है। वहीं दूसरी ओर सरकार के सभी दावें जमीन पर पूरी तरह दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। शिक्षा विभाग की ओर से कई-कई वर्षों पर मध्य विद्यालयों को कुछ बेंच डेस्क उपलब्ध करा दिया जाता है। जो ऊंट के मुंह में जीरा के समान होता है। जिसके कारण स्थिति में कोई विशेष बदलाव नहीं होता दिखता। जब तक बेंच डेस्क उपलब्ध कराया जाता है तब तक पुराने बेंच डेस्क क्षतिग्रस्त हो चुके होते हैं। ऐसे में स्थिति फिर वही ढाक के तीन पात वाली है।
वैशाली से ऋषभ कुमार की रिपोर्ट ...