ऐसे कैसे सुधरेगी शिक्षा व्यवस्था : नवादा के इस सरकारी स्कूल में रसोई घर में चल रही कक्षाएं, पेयजल और शौचालय भी मयस्सर नहीं, छात्र के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान

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 In this government school of Nawada two classes are going on in the kitchen.  In this government school of Nawada two classes are going on in the kitchen.

NAWADA : राज्य सरकार स्कूलों की व्यवस्था सुधारने का प्राथमिकता दे रही है। इस पर पैसे भी खर्च किए जा रहे हैं। स्कूल भवनों, क्लास रुम, पानी, बिजली, शौचालय, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर शिक्षा देने की घोषणा हुई है। इसे लेकर जब उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी हकीकत की पड़ताल की गयी तो विद्यालय परिसर में बने किचेन रुम में बैठाकर बच्चे को पढ़ाया जा रहा था, जहां विद्यालय संचालित करने की बस खानापूर्ति हो रही है। यहां छात्र और उनके अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान हैं।

दो कमरों में चल रहा 8वीं तक स्कूल

नवादा सदर प्रखंड में स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी में 8वीं तक की स्कूल दो कमरों में चल रही है। शेष बचे दो कमरे पूरी तरह से जर्जर हैं। कई दशकों से दो कमरे में छत नहीं है, जिससे इस विद्यालय के छात्र-अभिभावक के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान हैं। इस विद्यालय में कई दशकों से जो समस्या बनी हुई है, वह बरकरार है। यहां छात्रों की स्थिति सरकार की शिक्षा नीति के मजबूत दावे को खोखला साबित करने के लिए काफी है। यहां दो कमरे में 8 कक्षाएं संचालित होती हैं। यहां की स्थिति सरकारी दावे को आईना दिखाने के लिए काफी है।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी में कक्षा एक से 8वीं तक बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल को आए दिन विकल्प तलाशने पड़ते हैं। सर्दी में धूप वाली जगह तलाशी जाती है। वहीं, गर्मी के दिनों में इस स्कूल के बच्चों को पढ़ाने के लिए पेड़ों की छांव ढूंढी जाती है लेकिन कम संसाधनों के बीच एकाग्रता बनाए रखना संभव नहीं हो पाता। अभी के हालात और चौंकाने वाले हैं। यहां बच्चों को किचन शेड रूम में बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी की हालत दयनीय है। यहां किचन रूम में दो कक्षाएं चल रही हैं, जहां किचन रूम में 32 बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षा विभाग की अनदेखी के चलते इस विद्यालय का विकास और व्यवस्थाएं नहीं जुट पाई हैं।

छात्रों के किचेन रूम में बैठ पढ़ाई करने की समस्या के बाद भी विभाग कोई ध्यान ही नहीं दे रहा। दरअसल, स्कूल में कुल 176 बच्चे नामांकित हैं, जिनमें अधिकांश बच्चे मुस्लिम समुदाय और दलित परिवारों के हैं।

शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल

उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी में पढ़ने वाले छात्र कितने परेशान हैं, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। इस विद्यालय में सिर्फ दो कमरे हैं, लेकिन कक्षाएं 8 हैं। ये समझ से परे ही है कि 8 कक्षाओं का संचालन दो छोटे-छोटे कमरों में कैसे हो सकता है। यही स्थिति छात्र, अभिभावक के साथ-साथ शिक्षकों के लिए भी परेशानी का सबब बनी हुई है।

स्कूल में इसी स्थिति के बीच छात्रों को शिक्षा किसी प्रकार दी जा रही है। आधे छात्र किचेन रूम में तो आधे छात्र शेष बने दो कमरे के अंदर बैठकर शिक्षा अर्जित करते हैं। दो छोटे कमरे में छात्रों को ठूंस-ठूंसकर कर बैठाया जाता है। एक बेंच पर आमतौर पर तीन बच्चे बैठते हैं लेकिन यहां तो एक बेंच पर पांच से छह बच्चों को बैठाया जा रहा है। इस तरह आधे बच्चे किचेन रूम तो आधे बच्चे क्लास रूम, बाहर बरामदे या फिर खुले परिसर में पढ़ने को विवश हैं।

यहां विद्यालय में पढ़ाई वन और टू के छात्र को किचेन रूम में और तीसरी, चौथी और पांचवीं कक्षा की पढ़ाई एक कमरे में और छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा की पढ़ाई शेष एक कमरे में होती है। विद्यालय में 176 के करीब नामांकित छात्र हैं, जिसमें से 150 के करीब छात्र औसतन उपस्थित होते हैं। 2 कमरे में 8 कक्षाएं संचालित हो रही है, जो कि सरकारी शिक्षा नीति पर एक तमाचे के समान है।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी के प्रधानाध्यापक अभय शंकर प्रसाद द्वारा शिक्षा विभाग को कई बार लिखा जा चुका है लेकिन अबतक इस समस्या को हल करने वाला कोई भी अधिकारी सामने नहीं आ रहे हैं।

विद्यालय में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों का कहना है कि हमारे बच्चों की शिक्षा व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन और राज्य सरकार गंभीर नहीं है। कक्षा 2 का छात्र हरित राज का कहना है कि यहां पढ़ाई में काफी दिक्कतें होती हैं, पर इसे लेकर हम सभी छात्र-छात्राएं मजबूर हैं। सरकार और प्रशासन से मांग करते हैं कि हमारी मुश्किलों को दूर किया जाए। हम किचेन रूम में दो कक्षा के बीच पढ़ने को विवश हैं। वहीं, कमरे के अभाव में एक बेंच पर 5 को बैठाया जाता है। विद्यालय में पेयजल और शौचालय भी नहीं है। पेयजल और शौचालय के लिए आधा किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।

विद्यालय के प्रधानाचार्य अभय शंकर प्रसाद के मुताबिक विद्यालय भवन निर्माण और शिक्षक की कमी को पूरा करने के लिए कई बार उन्होंने भी विभागीय अधिकारियों से लिखित शिकायत की लेकिन विद्यालय में शिक्षक की कमी को पूरा नहीं किया जा सका। सोनसिहारी गांव की रहने वाली आरजू तमन्ना बताती हैं कि गांव के सरकारी स्कूल में टीचर तो है लेकिन स्कूल में कोई सुविधा नहीं है। कोई बिल्डिंग नहीं है। विद्यालय में न तो बच्चों के पीने की पानी की व्यवस्था है और ना शौचालय तक की कोई व्यवस्था नहीं।

उत्क्रमित मध्य विद्यालय सोनसिहारी के प्रधानाचार्य अभय शंकर प्रसाद ने बताया कि यहां कमरे की समस्या है। इस वजह से स्कूल में बच्चे भी कम हैं, स्कूल की बिल्डिंग नहीं होने से किचन शेड रूम में पढ़ाई होती है। विद्यालय में क्लास रूम कम होने से बच्चे स्कूल नहीं आते। विद्यालय में बच्चों की बैठने की व्यवस्था भी नहीं है। मजबूरन बच्चों को किचन रूम में 1 और टू की कक्षाएं और शेष दो कमरे में 3 से 8वीं तक की कक्षाएं संचालित की जा रही हैं।