बिहार को क्यों नहीं मिल रहा विशेष दर्जा ? : लोकसभा चुनाव में कितना हावी है स्पेशल स्टेट्स का मुद्दा, क्या है RJD, JDU और BJP का स्टैंड ?
पटना : देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. चार चरणों का मतदन संपन्न हो गया है. पांचवें चरण के लिये 20 मई को वोट डाले जायेंगे. चुनाव अलग-अलग मुद्दे पर लड़े जा रहे हैं. हालांकि राजद ने बिहार के विशेष पैकेज और विशेष राज्य के दर्जा का मुद्दा लोगों के बीच उछाला है. मुद्दा भावनात्मक है. लिहाजा एनडीए इस पर साफ बोलने से परहेज कर रहा है. हालांकि राजद के पास इस बात का जवाब नहीं है कि जब साल 2004 से 2014 तक केंद्र में यूपीए की सरकार थी तब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा क्यों नहीं मिला.
साल 2000 में बिहार का बंटवारा हो गया और झारखंड नाम से नया राज्य अस्तित्वव में आया. बिहार की आर्थिक स्थिति शुरू से कमजोर थी लिहाजा तत्कालीन केंद्र सरकार ने बिहार की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए भारी भरकम पैकेज की घोषणा की थी. हालांकि 24 साल बाद भी बिहार को वो विशेष पैकेज नहीं मिला है. इसी बीच बिहार के तमाम बड़े दलों ने अपनी सुविधा के अनुसार बिहार के विशेष राज्य के दर्जे की मांग उठाई . हालांकि ये मांग तभी वो उठा रहे थे जब वो विपक्ष में रहे. हालांकि जदयू बिहार के विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर अभी भी आक्रामक है. लेकिन बीजेपी का रूख काफी रक्षात्मक है. जदयू के प्रवक्ता निहोरा यादव के मुताबिक, बिहार को उसकी आर्थिक हैसियत के हिसाब से विशेष राज्य का दर्जा चाहिए और उसने इसके लिए दिल्ली में रैली भी की थी.
बिहार को स्पेशल स्टेटस मिले इसके लिए अलग-अलग पार्टियों ने विपक्ष में रहते हुए ही ये मांग उठाई. साल 2004 से 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार रही तब राजद ने स्पेशल स्टेटस का मुद्दा नहीं उठाया. हालांकि अब वो स्पेशल स्टेट्स की मांग कर रही है. दूसरी तरफ कांग्रेस ने बिहार के स्पेशल स्टेट्स के मुद्दे को जायज ठहराया है. और सत्ता में आने पर उइसके समाधान का भरोसा जताया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह बीजेपी पर हमलावर हैं. उन्होंने कहा कि साल 2000 में तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने बिहार को 1 लाख 79 हजार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं हो सका है.
पिछले दो लोकसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का बिहार की जनता ने पूरा पूरा साथ दिया है. हालांकि केंद्र की तरफ से मोटी आर्थिक मदद जरूर की गई है लेकिन बिहार की जरूरत के हिसाब से वो नाकाफी है. दूसरी ओर बिहार के स्पेशल स्टेटस के मुद्दे ने अब जमीन पर रंग दिखाना शुरू कर दिया है.