हजारों शुद्ध देसी घी के दीये से मां का दर जगमग : ताराचंडी देवी के दर उमड़ी भारी भीड़, मां पूरी करती हैं मन्नतें

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hazaro sudha deshi ghee ke diyo se jagmag hua tarachandi devi dham hazaro sudha deshi ghee ke diyo se jagmag hua tarachandi devi dham

SASARAM : नवरात्र के मौके पर पूरे देश में पूजा की धूम है। मां दुर्गा के नौ रुपों की पूरे भक्ति-भाव के साथ पूजा-अर्चना की जा रही है। इस बीच भक्ति के अलग-अलग रुपों की तस्वीरें सामने आ रही हैं। भक्तों की आस्था का केन्द्र सासाराम स्थित मां ताराचंडी देवी धाम में भक्तों का भारी भीड़ उमड़ रही है। इस बीच यहां दीपदान की अद्भुत परंपरा ने पूरे धाम को जगमग कर दिया है । बिल्कुल ही अलौकिक नजारा यहां देखने को मिल रहा है।

सासाराम के प्राचीन ताराचंडी देवी स्थान में दीपदान की अद्भुत परंपरा है। यहां प्रत्येक वर्ष नवरात्रि में हजारों की संख्या में दीए जलाए जाते हैं। जिसकी लौ से पूरा ताराचंडी देवी स्थल जगमग हो जाता है। 9 दिनों तक अखंड दीप जलाए जाते हैं जो शुद्ध देसी घी से जलते हैं। कहते हैं कि जिनकी मनोकामना सिद्ध हो जाती है, वह लोग यहां आकर दीपदान करते हैं। जिसकी देखरेख स्थानीय पुजारी करते हैं।

मंदिर के पुजारी प्रदीप गिरी ने बताया कि जिनके मन में कोई इच्छा होती है वे इसकी पूर्ति के लिए लोग मन्नते रखते हैं। इसके लिए भी अखंड दीपक जलाए जाते हैं। दीप जलाने वाले का नाम दीपक के ऊपर ढक्कन पर लिखा जाता है तथा लगातार नौ दिनों तक 24 घंटा इसकी निगरानी होती है। एक साथ हजारों शुद्ध घी के दिए जलाए जाने से पूरा वातावरण में शुद्धता आ जाती है।

मान्यता है कि तारांचडी देवी स्थान में माता सती की दाहिनी आंख गिरी थी। पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शंकर जब अपनी पत्नी सती के मृत शरीर को लेकर तीनों लोकों में घूम रहे थे तब संपूर्ण सृष्टि भयाकुल हो गयी थीं तभी देवताओं के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को खंडित किया था। जहां-जहां सती के शरीर का खंड गिरा उसे शक्तिपीठ माना गया। सासाराम का ताराचंडी मंदिर भी उन्हीं शक्तिपीठों में से एक है।

सासाराम से रंजन कुमार सिंह की रिपोर्ट ...


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