दुर्लभ बीमारी से पीड़ित मासूम : 6 माह के बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 नाम की रेअर बीमारी, रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती
रांची : खूंटी के रहने वाले 6 माह के बीमार बच्चे को उनके परिजनों ने राज्य के विभिन्न जिलों के कई शिशु रोग विशेषज्ञों से इलाज करवाया लेकिन सभी डॉक्टरों ने बच्चों के इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए. दरअसल बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 नाम की दुर्लभ बीमारी ने जकड़ लिया है. बच्चे का इलाज फिलहाल रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में एक कुशल डॉक्टर की निगरानी में हो रहा है.
तस्वीर में दिख रहा है कि इस बच्चे की उम्र महज6माह है लेकिन दुर्भाग्य से इस नन्हें से जान को वैसी दुर्लभ बीमारी है जो लाखों मनुष्य के पूरे जीवन में उसे यह नहीं होता है. दरअसल बच्चे को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप1नाम की दुर्लभ बीमारी हो गया है
खूंटी के रहने वाले6माह के इस बच्चे को उनके परिजनों ने राज्य के विभिन्न जिलों के कई शिशु रोग विशेषज्ञों से इलाज़ करवाया लेकिन सभी डॉक्टरों ने बच्चों के इलाज के लिए हाथ खड़े कर दिए.
नवजात के परिजनों ने फिलहाल बच्चों को राजधानी रांची के रानी चिल्ड्रेन अस्पताल में भर्ती कराया है. जहां पर डॉ. ज़ीशान अहमद की निगरानी में बच्चे का इलाज हो रहा है.
बच्चे की बीमारी को लेकर रानी चिल्ड्रन के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जीशान अहमद ने बताया कि स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी टाइप वन अमूमन छोटे बच्चों में ही देखा जाता है. डॉक्टर ज़ीशान अहमद ने बताया कि इस बीमारी का इलाज भारत के कुछ एक अस्पतालों में ही होता है.
उन्होंने कहा है कि इस बीमारी में बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत होती है. बच्चे को बाहर से ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जा रहा है. यह बीमारी किसी इंफेक्शन से नहीं होता है बल्कि बच्चा जन्म के साथ ही इस बीमारी को लेकर आता है.
इस बीमारी में महज एक से डेढ़ साल में बच्चों की हो जाती है मौत:
बच्चों के मांसपेशियां भी कमजोर हो जाते हैं और उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कतें होती है. ऐसे में बच्चों को निमोनिया होने का खतरा रहता है. यदि निमोनिया का इलाज सही समय पर नहीं किया जाए तो एक से डेढ़ साल के अंदर बच्चे की मौत भी हो सकती है.
बच्चे की इलाज में जुटे डॉक्टर :
डॉक्टर जीशान अहमद ने बताया कि बच्चों को जब अस्पताल में एडमिट किया गया तो उसके लक्षण को देखने के बाद यह साफ पता चल गया कि बच्चों को एसएमए टाइप वन की बीमारी है.
डॉ जीशान अहमद ने बताया कि इस बीमारी के इलाज के लिए मिलने वाली दवा भी काफी महंगी है. यह दावा भारत में मुश्किल से ही मिलती है. इस दवा की कीमत 16 करोड़ रुपये बताई गई है.
बच्चों के पिता ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि उनके बच्चे को दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर अट्रोफी टाइप1हो गया है तो वह काफी परेशान हो गए. पिता ने बताया कि दवा की कीमत16करोड़ से22करोड रुपए है. जो उनके लिए उपलब्ध कराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. क्योंकि वह एक साधारण परिवार से हैं और उनकी महीने की इनकम30से40हज़ार होती है. ऐसे में अपने बेटे के लिए इतनी महंगी दवा उपलब्ध कराना उनके लिए संभव नहीं है.