होली पर सियासत के दो अलग-अलग रंग : बिहार विधानसभा में बवाल ही बवाल, झारखंड विधानसभा में अबीर और गुलाल

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होली के दिन दिल मिल जाते हैं रंगों में रंग खिल जाते हैं। 70 के दशक में आई फिल्म शोले का ये गाना आज भी होली के मौके पर सुनने को मिलता है और संदेश भी यही है कि होली के दिन दिल मिल जाते हैं...लेकिन सियासत में जरूरी नहीं है कि ऐसा हो। ज़रा दो तस्वीरों के ज़रिए समझिए। एक तरफ बिहार विधानसभा की तस्वीर है, दूसरी तरफ झारखंड विधानसभा की है। बिहार विधानसभा में दो दल जेडीयू बीजेपी का गठबंधन तो है, लेकिन होली के मौके पर भी दिल नहीं मिलने की गवाही देती तस्वीर है। 14 मार्च को सीएम और स्पीकर के बीच हुई नोंकझोंक का असर मंगलवार को भी दिखा और पूरे दिन स्पीकर आए ही नहीं और सदस्य स्पीकर को बुलाने की मांग पर हंगामा करते रहे और सदन की कार्यवाही स्थगित होती रही। दूसरी तरफ झारखंड विधानसभा में भले ही दल अलग-अलग हों, लेकिन होली मिलन के मौके पर दिल मिलने की गवाही देती तस्वीरें आईं, पक्ष विपक्ष, सीएम, स्पीकर सबने एक दूसरे को गुलाल लगाया, झाल बजाई और मिठाई खिलाई।

अब ज़रा सीएम और स्पीकर के बीच संबंधों की तस्वीर को भी दो तस्वीर के ज़रिए समझिए। एक तरफ बिहार विधानसभा में सीएम और स्पीकर के बीच गरमागरमी और नोंकझोंक की तस्वीर है, जिसकी गरमाहट अगले दिन भी महसूस की जा रही है, तो दूसरी तस्वीर झारखंड विधानसभा में स्पीकर और सीएम के होलियाना प्रेम की है, जिसमें स्पीकर सीएम को मिठाई खिला रहे हैं और दोनो एक दूसरे को गुलाल लगा रहे हैं। यानी होली के मौके पर सियासत के दो अलग-अलग रंग देखने को मिल रहे हैं। एक ब्लैक एंड व्हाइट है तो दूसरी रंगीन। अब आप तय कीजिए कौन सी तस्वीर लोकतंत्र के लिए खूबसूरत है?



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