धर्मेंद्र प्रधान ने उठाया बड़ा सवाल : भारतीय इतिहास और शिक्षा को बताया सबसे बड़ी पूंजी, अब सही इतिहास लिखेगा भारत
सासाराम : इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन परिषद् के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन सासाराम केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बड़ा बयान देते हुए बताया कि अब तक भारत में इतिहास को गलत तरीके से लिखा गया लेकिन अब भारत सरकार पूरी ताकत के साथ नई और सही इतिहास लिखने की ओर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी यहां का इतिहास और शिक्षा है।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस दिशा में इतिहास अनुसंधान परिषद व अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा बहुत ही सराहनीय कार्य किया जा रहा है, अभी जो 75 पुस्तकें अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा प्रकाशित की गई है। इसको भारत सरकार अंग्रेजी और दूसरी भाषाओं में अनुवाद कराएगा। जिससे भारत का समग्र इतिहास यहां की संस्कृति और संप्रभुता पूरी दुनिया में पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रजातंत्र भारत के डीएनए में है। उन्होंने उपस्थिति लोगों से अपील किया की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का यह सपना है के इतिहास संस्कृति यहां के रहन-सहन में उपनिवेश कि जो छाप है उसे खत्म किया जाना चाहिए। भारत सरकार इस दिशा में अग्रसर है। उन्होंने नौजवान और भावी इतिहासकारों से अपील किया कि भारत के इतिहास को लिखने के लिए भारतीय परंपरा और चेतना के अनुसार उदाहरण इकट्ठा करने में भारत सरकार की मदद करें। इसकी अलावा श्री प्रधान ने कहा कि भारत सरकार बहुत ही जल्द पूरे देश में 200 से ज्यादा एजुकेशनल टीवी चैनल शुरू करने जा रही है जिससे शिक्षा आसानी से लोगों तक पहुंच सके।
संगोष्ठी में सारस्वत अतिथि के रूप में नव नालांदा महावीर विश्वविद्यालय, नालंदा के कुलपति प्रोफेसर श्री वेधनाथ लाभ ने अपने संबोधन में कहा कि के भारत का इतिहास और यहां का धरोहर विश्व धरोहर का केंद्र बिंदु रहा है भारत एक राष्ट्र के रूप में हमेशा मौजूद रहा। भारत अपने मूल्यों के वजह से ही पूरी दुनिया में विश्व विख्यात रहा। इस दिशा में भारतीय इतिहास और संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना प्रयासरत है उन्होंने आशा व्यक्त किया कि हम भारत के समग्र और सही विकास इतिहास को जल्द ही पूरी दुनिया के सामने लाने में कामयाब होंगे।
संगोष्ठी में दूसरे सत्र अतिथि के रूप में हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति, श्री प्रोफेसर सत्याप्राकाश बंसल ने कहा कि भारत में शिक्षा का विस्तार तो हुआ पर विकास नहीं हुआ। भारत सरकार द्वारा लाई गई नई शिक्षा नीति इस दिशा में कार्य करेगी। जिससे शिक्षा का सही मायने में विकास संभव हो सकेगा। इससे पहले जो भी शिक्षा नीति भारत सरकार द्वारा लगाई गई वह सिर्फ पुरानी शिक्षा नीतियों का रफू करने का कार्य करती थी इस बार माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लाई गई नई शिक्षा नीति असल मायने में शिक्षा तंत्र को मजबूत करने में और भारतीय संस्कृति समाज और चेतना के अनुरूप करने में सफल होगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति आने वाले 25 वर्षों के लिए भारत के युवाओं के लिए एक प्लेटफार्म का कार्य करेगी।
डॉ बालमुकुंद पांडेय संगठन सचिव, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना ने कहा कि कहां के भारत का इतिहास अब तक भारत के धूल मिट्टी में छुपा हुआ था अब नए भारत में फिर से उभर कर सामने आ रहा है इस दिशा में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के प्रयास से भारत का इतिहास फिर से चमक कर दुनिया के सामने आएगा उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास यहां के संस्कृति यहां के रहन-सहन और चेतना के प्रारूप में ही देखा जा सकता है।
इस संगोष्ठी में देश भर के बारह सौ इतिहासकर व शिक्षाविदों ने भाग लिया। कार्यक्रम के दूसरे दिन संगोष्ठी की अध्यक्षता गोपाल नारायण विश्वविद्यालय के कुलपति गोपाल नारायण सिंह ने किया। उन्होंने इस संगोष्ठी में आए हुए देश भर के शिक्षाविदों और इतिहासकारों के साथ-साथ आज के मुख्य अतिथियों का स्वागत और धन्यवाद ज्ञापन किया।