छठ पूजा 2025 : आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा पहला अर्घ्य

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रांची : छठ महापर्व के तीसरे दिन आज यानि सोमवार को अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को उषा अर्घ्य अर्पित कर छठ व्रती पारण करेंगी. इसके साथ ही छठ पूजा का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा. छठ महापर्व झारखंड के रांची, बिहार समेत देश के कई स्थानों पर धूमधाम से मनाया जा रहा है.

लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन रविवार को व्रतियों ने दिनभर उपवास रख कर शाम को खरना किया. खरना के साथ ही आज से व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरु हो गया है. अब सोमवार को छठ व्रत करने वाले महिला और पुरुष व्रती विभिन्न छठ घाटों पर जा कर अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर यानि डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे. इसके बाद मंगलवार की सुबह उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे और महापर्व छठ का विधिवत समापन हो जाएगा.

सनातन परंपरा में पंचदेवों में से एक भगवान भास्कर को सौभाग्य और आरोग्य का देवता माना गया है. सूर्य का उदय होते ही पूरे संसार का अंधकार दूर हो जाता है. ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों का राजा और आत्मा का कारक माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है, उन्हें जीवन में बड़ी सफलता और सम्मान प्राप्त होता है. ऐसा जातक को उच्च पद की प्राप्ति होती है और उसके जीवन में हमेशा सुख-सौभाग्य और आरोग्य बना रहता है.

छठ का अर्थ होता है छठा दिन, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का छठा दिन. इस दिन चार दिवसीय अनुष्ठान पूरा होता है. इसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है. फिर अगले दिन खरना होता है. फिर संध्या अर्घ्य और अगले दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का पर्व. चार दिनों तक चलने वाला ये महापर्व शुद्धता,संयम और आत्मनियंत्रण का प्रतीक है.

छठी मइया का संबंध षष्ठी तिथि से है. छठी मइया को ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन कहा जाता है. लोककथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मइया उर्वरता और समृद्धि की देवी हैं. बिहार , झारखंड, पूर्व उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई इलाकों में छठ पूजा
विशेष रुप से संतान की रक्षा और परिवार की समृद्धि के लिए की जाती है. ऐसी मान्यता है कि छठी मइया संतान की रक्षा करती हैं और पूरे परिवार के जीवन में उजाला भरती हैं.