चैत्र पर्व का रंगारंग कार्यक्रम का शुभारंभ : मंत्री चंपई सोरेन ने कहा, सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगा सरायकेला

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सरायकेला : स्थानीय राजकीय छऊ कला केंद्र प्रांगण में चैत्र पर्व का रंगारंग कार्यक्रम किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदिवासी कल्याण सह परिवहन मंत्री चम्पई सोरेन ने इसका विधिवत उद्घाटन किया.

इस मौके पर मंत्री चम्पई सोरेन ने कहा कि छऊ हमारी संस्कृति है. इससे बचाये रखना हम सबों का दायित्व है. राज्य सरकार ने सरायकेला सांस्कृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है, ताकि संस्कृति अक्षुण्ण रहे और वर्ष भर यहां पर्यटक आएं और छऊ का अधिक से अधिक विकास हो सके.

मंत्री ने कहा कि छऊ के कारण सरायकेला की पहचान विदेशों तक है. देश का प्रतिष्ठित पुरस्कार पद्मश्री7छऊ कलाकारों को मिले हैं. यह सरायकेला के लिए गौरव की बात है.

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डीसी अरवा राजकमल ने कहा कि सरायकेला कोरोना के कारण बड़े पैमाने पर छऊ महोत्सव नहीं हो पाया था, इस बार भव्य तरीके से आयोजित किया जा रहा है. चैत्र पर्व के सभी धार्मिक पहलुओं को ध्यान में रखा गया है. ग्रामीण क्षेत्र के प्रतिभावन कलाकारों को मंच देने का कार्य कर रहे हैं. डीसी ने छऊ के विकास में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने की बात कही व राजकीय छऊ कला केंद्र के सभी पदों को भरने के लिए राज्य सरकार को जिला प्रशासन प्रस्ताव भेजने का कार्य कर रहा है. कार्यक्रम का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया गया.

कार्यक्रम का पहला दिन छऊ कलाकारों द्वारा मंगलाचरण के साथ शुरुआत की गयी. कार्यक्रम में सरायकेला, मानभूम व खरसावां शैली में तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले नृत्य दलों द्वारा नृत्य प्रस्तुत किया गया. इसके बाद ओडिशा के टिटलागढ़ से आये कलाकारों ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित घुड़का नृत्य प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी. असम से आये रूपम शर्मा ग्रुप के कलाकारों ने बिहू नृत्य प्रस्तुत किया. इसके अलावा एकलव्य नृत्य दल द्वारा कथक नृत्य प्रस्तुत किया. रांची से आये कलाकार सुनील महतो ने नागपुरी गीत, पश्चिम बंगाल से आयी झुमरकलाकार मधुश्री हेताल ने झुमर गीत व नृत्य प्रस्तुत कर समां बांधा, तो तालियों की गड़गड़ाहट से आसमान गूंज उठा. कार्यक्रम के आंतिम में ईचागढ़ के चोंगा से आये कलाकारों ने पाइका नृत्य व संथाली मुंडारी नृत्य पेश किया.


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