सियासी शतरंज में किसके मोहरा हैं मुकेश? : बोचहां उपचुनाव के बहाने बिछी सियासी शतरंज, किसके साथ हैं 'सन ऑफ मल्लाह'?

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हाल ही में 17 मार्च को मुकेश सहनी ने कहा था- ''मैं फ्लॉवर नहीं, सन ऑफ मल्लाह हूं। मुझे दबाने की कोशिश कामयाब नहीं होगी।''

फिल्म लाइन से सियासत में उतरे मुकेश सहनी भले ही आज भी फिल्मी डॉयलॉग के ज़रिए खुद को फ्लॉवर नहीं समझने की चेतावनी दे रहे हों, लेकिन शायद रील लाइफ और रियल लाइफ में बहुत फर्क होता है और ऐसा लगता है कि बिहार की सियासत की रियल लाइफ में मुकेश सहनी को सबने फ्लॉवर ही समझ रखा है। वो फ्लॉवर जिसे मुरझाने पर फेंक दिया जाता है। कुछ ऐसा ही मुकेश सहनी के साथ हो रहा है। यूपी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ मुकेश सहनी फायर बनने गए थे। 53 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और चुनाव प्रचार में बीजेपी के खिलाफ खूब आग भी उगला। लेकिन सभी सीटों पर करारी हार हुई तो बीजेपी नेताओं ने खुलकर फ्लॉवर समझकर एनडीए से बाहर निकालने की बात कहने लगे।

उधर बीजेपी नेता मुकेश सहनी पर सीधे वार कर रहे थे, इधर मुकेश सहनी का दिल बीजेपी के धुर विरोधी लालू के लिए धड़कने लगा। मुकेश सहनी ने खुलकर कहना शुरु कर दिया लालू उनके दिल में बसते हैं।

एनडीए में रहकर ही मुकेश सहनी का दिल ना सिर्फ लालू के लिए धड़कने लगा, बल्कि मुकेश सहनी ने तेजस्वी को ढ़ाई-ढ़ाई साल के सीएम के फार्मूले की शर्त पर समर्थन का भी ऑफर दे दिया।

इस बीचVIPके टिकट पर जीते मुसाफिर पासवान के निधन पर खाली हुई बोचहां सीट को लेकर उपचुनाव की सरगर्मी भी तेज थी और होली के एक दिन पहले बीजेपी ने मुकेश सहनी को झटका देते हुए अपना उम्मीदवार उतार दिया। बीजेपी ने बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाया, जिस पर मुकेश सहनी ने तंज कसते हुए बीजेपी को होली का तोहफा देने के लिए धन्यवाद करते हुए ट्वीट किया। वहीं मुकेश सहनी ने भी बोचहां से लड़ने का ऐलान किया। जिस पर बीजेपी नेताओं ने भी पलटवार किया।

हालांकि इस बीच मुकेश सहनी सीएम नीतीश से भी मिले, बीजेपी के बड़े नेताओं से मिलने के दिल्ली तक की दौड़ भी लगाई, लेकिन कुछ खास सफलता हाथ नहीं लगी। हालांकि एनडीए के ही नेता जीतनराम मांझी का समर्थन जरूर मुकेश सहनी को मिला। मांझी ने खुलकर बोचहां सीटVIP को मिलने की वकालत की।

वहीं जब सहनी दिल्ली में मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को उम्मीदवार बनाने की तैयारी में जुटे थे, ठीक उसी वक्त अमर पासवान आरजेडी कार्यालय पहुंचे, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह से मुलाकात की और आरजेडी की सदस्यता ले ली। अमर पासवान ने दावा किया कि आरजेडी के टिकट पर बोचहां से वो चुनाव लड़ेंगे। दूसरी तरफ दिल्ली में मुकेश सहनी खुद को अनजान बताते रहे।

दूसरी तरफ शाम होते-होते बोचहां से कई सालों तक विधायक रहे आरजेडी नेता रमई राम मुकेश सहनी के साथ चले गए। रमई राम अपनी बेटी गीता कुमारी के साथ मुकेश सहनी की मौजूदगी में VIP की सदस्यता ले ली। गीता कुमारी को मुकेश सहनी ने बोचहां से VIP उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। यानी VIP और आरजेडी के बीच एक तरह से उम्मीदवारों का ये एक्सचेंज हो गया। ऐसे में सवाल है कि क्या ये सब कुछ सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। क्या मुकेश सहनी बोचहां उपचुनाव में बीजेपी को हराने के लिए पर्दे के पीछे तेजस्वी के साथ मिलकर करार किया है। या फिर पर्दे के पीछे एनडीए का ही कोई है जो बीजेपी को हराना चाहता है। एक बात तो साफ है बोचहां उपचुनाव के बहाने बिछे सियासी शतरंज का मोहरा हैं मुकेश सहनी, लेकिन किसके मोहरा हैं. इसका जवाब आने वाले दिनों में पता चल सकता है।



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