बोचहां उपचुनाव का रण : सज गया बोचहां का चुनावी मैदान, जीत के सबके दावे, जानिए किसके दावे में कितना दम?

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होली खत्म हो गई और सियासत एक बार फिर शुरु हो चुकी है। MLC चुनाव को लेकर पहले से ही गर्म सियासत बोचहां विधानसभा उपचुनाव को लेकर और भी गर्म हो गई। पहले बीजेपी ने मुकेश सहनी को दरकिनार कर बेबी कुमारी को अपना उम्मीदवार बनाया। इसके बाद VIP छोड़ दिवंगत मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान आरजेडी में शामिल हो गए और आरजेडी के उम्मीदवार हो सकते हैं। वहीं आरजेडी छोड़ रमई राम बेटी गीता समेत VIP में शामिल हो गए और गीता कुमारी को VIP उम्मीदवार बनाने का ऐलान मुकेश सहनी ने किया। यानी बोचहां उपचुनाव के बहाने सियासी शतरंज बिछ चुकी है। अपने-अपने दांव चले जा रहे हैं। जीत के अपने-अपने दावे भी हैं। लेकिन सवाल है कि आखिर किसके दावे में कितना दम है। इसके लिए समझिए बोचहां विधानसभा क्षेत्र का समीकरण और चुनावी इतिहास क्या कहता है? पिछले 13 सालों के चुनावी इतिहास पर गौर करें, तो बोचहां विधानसभा की चुनावी लड़ाई रमई राम, मुसाफिर पासवान और बेबी कुमारी के इर्द गिर्द ही घूमती नज़र आती है। देखिए।

बोचहां विधानसभा- 2020 चुनाव

  1. मुसाफिर पासवान (VIP) 77,837 वोट
  2. रमई राम (RJD) 66,569 वोट

बोचहां विधानसभा- 2015 चुनाव

  1. बेबी कुमारी (निर्दलीय) 67,720 वोट
  2. रमई राम (जेडीयू) 43,590 वोट

बोचहां विधानसभा- 2010 चुनाव

  1. रमई राम (जेडीयू) 61,885 वोट
  2. मुसाफिर पासवान (आरजेडी) 37,758 वोट

बोचहां विधानसभा- 2009 उपचुनाव

  1. मुसाफिर पासवान (आरजेडी) 39,968 वोट
  2. रमई राम (जेडीयू) 35,942 वोट

यानी 2009 से लेकर 2020 तक दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान को दो बार सफलता मिली, तो रमई राम को एक बार, वहीं बेबी कुमारी को भी एक बार सफलता मिली। वहीं ये तीनो चेहरे किसी एक पार्टी में नहीं रहे। जब जिस पार्टी से टिकट मिला, उसी पार्टी से मैदान में उतरे। वहीं इस सीट पर 2009 में उपचुनाव हुआ था, जिसमें आरजेडी के टिकट पर लड़े मुसाफिर पासवान को जीत मिली थी, तो क्या उपचुनाव के इतिहास को मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान आरजेडी के टिकट पर दोहरा पाएंगे। वैसे रमई राम का इस इलाके में बड़ा दबदबा माना जाता है। इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि रमई राम पिछले पांच दशकों से रमई राम इस विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं। पहली बार रमई राम 1972 में बोचहां से विधायक चुने गए। अगले चुनाव में रमई राम की हार हुई, लेकिन 1980 से जीत का सिलसिला लगातार जारी रहा। 1980 से रमई राम लगातार 6 बार बोचहां से विधायक चुने गए। इस बार रमई राम की बेटी गीता कुमारीVIP की टिकट पर मैदान में हैं। वहीं बेबी कुमारी भी 2015 में निर्दलीय विधायक चुनी गई थी। ऐसे में पलड़ा तीनों खेमे का भारी है और मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। ज़रा देखिए 2022 उपचुनाव में बोचहां से चुनावी लड़ाई की तस्वीर क्या है?

हालांकि NDA में होते हुए भी मुकेश सहनी का उम्मीदवार उतारना और आरजेडी और VIP में उम्मीदवारों का एक्सचेंज कई समीकरण बदल और बिगाड़ भी सकते हैं।


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