बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का CM नीतीश को पत्र : कहा : शिक्षकों की आस्था के साथ हो रहा खिलवाड़, मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद भी छुट्टियों में हो रही कटौती
PATNA : शिक्षकों की त्योहारों में छुट्टियों की कटौती कर शिक्षा-विभाग उनकी आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहा है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस आशय का पत्र लिखा है। बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से बताया है कि मुख्यमंत्री के बार-बार निर्देश देने के बावजूद शिक्षा-विभाग शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती कर रहा है।
उन्होंने बताया कि पिछले दिनों रक्षाबंधन और अन्य छुट्टियों में भी कटौती के संबंध में मुख्यमंत्री से मिलकर ध्यानाकृष्ट किया गया था और यह स्थायी आदेश दिया गया था कि वर्ष 2023 की अवकाश तालिका के मुताबिक विद्यालयों में छुट्टियां दी जाएं। इसके बावजूद इसका उल्लंघन हो रहा है।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को यह भी बताया है कि यदि शिक्षा विभाग शिक्षकों की सेवा और सुविधा एक समान करना चाहता है और जिसमें छुट्टियां भी शामिल रहती है तो उन्हें राजपत्रित अवकाश के अतिरिक्त प्रतिबंधित छुट्टियों का भी लाभ दिया जाए और अर्जितावकाश 33 दिनों का दिया जाए। शिक्षा विभाग न तो शिक्षकों को न राज्यकर्मी का लाभ देना चाहता है और न शिक्षा सेवक ही मानना चाहता है। हर हाल में शिक्षकों का सम्मान, उनकी गरिमा को बरकरार रखनी होगी।
मुख्यमंत्री को शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बताया है कि विद्यालयों में कुल 60 दिनों की छुट्टियां होती हैं। तत्कालीन अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने अनावश्यक रूप से इसमें छेड़छाड़ कर दिया और यहां तक कि रविवार की साप्ताहिक छुट्टियों को भी गणना में शामिल कर अवैध आदेश दे दिया। वर्त्तमान अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग ने इसमें संशोधन का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक महान आस्था के पर्व के पवित्र मौके पर वर्ष 2023 की ही भांति छुट्टियां लागू करने का निर्देश नहीं दिया जा रहा है। इससे शिक्षक काफी तनाव में हैं और इससे पठन-पाठन पर प्रतिकुल प्रभाव पड़ता है।
शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री को कहा है कि आपने बिहार राज्य के बाहर के भी शिक्षकों को नियुक्त किया है। एक दिन की छुट्टी में वे अपने-अपने घरों में दीपावली मनाने से वंचित रह जाएंगे। इसी तरह नहाय-खाय और खरना करने से भी वंचित रह जाएंगे। उन्होंने कहा है कि यह सामाजिक सरोकार का अति संवेदनशील मामला है। शिक्षा विभाग का ऐसा आस्थाविहीन आदेश आपको भी पीड़ा पहुंचायेगा। मुख्यमंत्री से इसे तुरंत संज्ञान में लेने और यथोचित कार्रवाई करने की मांग की है।