'ट्रांसफर-पोस्टिंग नीति स्थगित करना साजिश' : बोले विद्यालय अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष, कहा : सक्षमता उत्तीर्ण तिथि से राज्यकर्मी घोषित करे सरकार
PATNA : बिहार विद्यालय अध्यापक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष उदय शंकर सिंह ने बिहार सरकार के शिक्षा मंत्री सुनील कुमार द्वारा शिक्षक पदस्थापन स्थानांतरण पर तत्काल स्थगित करने संबंधित आदेश को सरकार के सोची समझी राजनीतिक साजिश का रूप है। इसके बिहार के लाखों शिक्षक प्रभावित हुए है।
बिहार में नियोजित शिक्षकों की वर्षों से ऐच्छिक स्थानांतरण की मांग रही है। सरकार द्वारा बड़े सुनियोजित तरीके से भेदभावपूर्ण विसंगतियों से भरा पदस्थापन स्थानांतरण नीति लाया गया। एक ऐसा स्थानांतरण नीति जिसमें स्थानांतरण के साथ-साथ नियोजित शिक्षकों घर परिवार से दर बदर से जिलाबदर कर के दण्डात्मक कारवाई भी दिये जाने का प्रावधान कर दिया।
बाद में विद्यालय अध्यापक संघ द्वारा प्रखरपूर्ण विरोध करने पर सरकार के द्वारा बिहार के जनता एवं शिक्षकों के परिवार की सहानुभूति प्राप्त करने के साथ-साथ अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु आने वाले चुनावी साल को देखते हुए आनन-फानन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थानांतरण पदस्थापन नियमावली में संशोधन ना करके पूरे स्थानांतरण पदस्थापन नीति को ही तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया जबकि बिहार के लाखों नियोजित एवं बीपीएससी शिक्षक स्थानांतरण की आस में टकटकी लगाये बैठे थे।
ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे बिहार में शिक्षक बनना अपराध हो गया है। आखिरकार सरकार को किस कारण से पदस्थापन स्थानांतरण नीति को स्थगित करना पड़ा, वो चाहती तो अनुमण्डल के बदले प्रखण्ड के विकल्प को संशोधित कर स्थानांतरण कर सकती थी लेकिन मसला स्थानांतरण का नहीं बल्कि नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी दर्जा देने में है।
नियोजित शिक्षक सरकार की बात मानकर सक्षमता परीक्षा दिए, जिसका परिणाम घोषित हुए भी लगभग आठ माह गुजर जाने के बाद भी सरकार द्वारा सक्षमता उत्तीर्ण शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा प्रदान नही किया गया। संघ सरकार से यह मांग करता है कि सरकार सभी सक्षमता उत्तीर्ण शिक्षकों को परीक्षाफल प्रकाशन तिथि से राज्यकर्मी का दर्जा प्रदान करे और जिन शिक्षकों को ट्रांसफर की जरूरत है। उन्हें अविलंब ट्रांसफर किया जाएगा। ऐसा नहीं करना स्पष्ट रूप से सरकार के शिक्षकों के प्रति कुत्सित एवं विकृत मानसिकता का परिचायक है।