41 साल बाद न्याय : नकली कन्हैया बनकर करोड़ो की सपंत्ति हड़पने वाले मायावी कन्हैया को 41 साल बाद मिल गई सजा..
Nalanda:- करोड़ो की संपत्ति हड़पने के लिए नकली कन्हैया बनने के मामले में कोर्ट ने 41 साल बाद फैसला सुना दिया है और नकली कन्हैया को 3 साल की सजा और 10 हजार का आर्थिक दंड लगाकर जेल भेज दिया है।
यह मामला बिहार के नालंदा जिला का है और इस फैसले को बिहारशरीफ कोर्ट के न्यायधीश मानवेन्द्र मिश्र की कोर्ट ने सुनाया है.करीब 41 साल बाद फैसला सुनाते हुए आरोपित को तीन अलग अलग धाराओं में जेल भेजा गया है.इस फैसले के वक्त बिहारशरीफ कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं और आमलोगों की भीड़ लगी रही.
क्या था पूरा मामला
मामला यह था कि बेन थाना के मुरगावां गांव के जमींदार कामेश्वर सिंह का पुत्र कन्हैया सिंह मैट्रिक परीक्षा के दौरान चंडी हाईस्कूल से वर्ष 1977 में अचानक गायब हो गया था। कामेश्वर सिंह की करोड़ों की संपत्ति का कन्हैया इकलौता वारिस है।कन्हैया के गायब होने के कुछ माह बाद ही पड़ोसियों ने गांव में आए एक भरथरी को कन्हैया के तौर पर पहचान कर उसे वहां रखा था।उस समय कामेश्वर की पुत्री रामसखी देवी ने उसे कन्हैया मानने से इंकार कर दिया था और साल 1981 में सिलाव थाने में संपत्ति को हड़पने के ख्याल से आए इस कन्हैया पर नकली होने का आरोप लगाते हुए मुकदमा किया था।मामला दर्ज होने के बाद अनुसंधान के क्रम में नकली कन्हैया की पहचान तत्कालीन मुंगेर जिले के लक्ष्मीपुर थाना क्षेत्र के लखई गांव निवासी दयानंद गोसाईं के रूप में की गयी थी पर आरोपी पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं हो पाई थी पर 41 साल बाद इस मामले में फैसला आने के बाद इस मामले पर एक बार फिर से चर्चा होने लगी है.
इस मामले पर सहायक अभियोजन पदाधिकारी राजेश पाठक ने बताया कि यह मामला सर्वोच्च न्यायालय तक गया था,लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए उसे फिर से निचली अदालत में भेज दिया था.इस मामले में अब तक कई मोड़ आ चुके हैं और अब 41 साल बाद जज मानवेन्द्र मिश्र ने 420 , 419 और 120 भारतीय दंड सहिंता के तहत 3 साल की सजा और 10 हजार रुपए का जुर्माना सुनाते हुए आरोपित दयानंद गोसाईं को जेल भेज दिया है|