बहाली में हीलाहवाली में रेलवे पर भारी बिहार : रेलवे की बहाली तो कुछ नहीं, बिहार में तो 8 साल बाद भी नहीं मिलती है नौकरी

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चुनाव के समय बिहार में लाखों नौकरियों की रेवड़ियां बांटने वाले नेताओं को वोट देने वाले लाखों छात्र आज सड़क पर लाठियां खा रहे हैं और लाखों नौकरियां देने का वादा देने वाले नेता नदारद हैं। रेलवे RRB-NTPC और RRB Group D की परीक्षा 3 साल में पूरी नहीं कर पाता है और बहाली कब होगी पता नहीं, लेकिन बिहार में तो इससे भी बुरा हाल है। कोई 8 साल से तो कोई 5 साल से तो कोई 3 साल से बहाली प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं। किसी बहाली में परीक्षा नहीं हुई, परीक्षा हो गई तो रिजल्ट नहीं आता है। रिजल्ट आ गया तो ज्वाइनिंग लेटर के इंतजार में भी बेरोजगार बैठे हैं। किसी की शादी अटकी है, तो कोई आर्थिक तंगी में जीने को मजबूर है। एक-एक कर जानिए कैसे अलग-अलग बहाली प्रक्रिया 3 साल से लेकर 8 सालों से अटकी पड़ी है।

बिहार SSC की बहाली प्रक्रिया 8 साल में पूरी नहीं हुई। 2014 में 43 अलग-अलग वर्गों के लिए BSSC ने विज्ञापन निकाला था। बारहवीं पास छात्रों के लिए सितंबर-अक्टूबर 2014 में आवेदन लिए गए। पहले पेपर लीक और फिर बार-बार परीक्षा रद्द होती रही। 4 साल बाद दिसंबर 2018 में BSSC की प्रीलिम्स परीक्षा ली गई। 65 हजार छात्र मेंस के लिए क्वालीफाई हुए। मेंस की परीक्षा दिसंबर 2020 में ली गई। मेंस परीक्षा में 53 हजार छात्र क्वालीफाई हुए। जिसमें 14,410 छात्रों को शॉर्टलिस्ट किया गया। अब प्रमाण पत्र सत्यापन और काउसिलिंग का इंतजार है। अब BSSC 2014 से पहले का जाति प्रमाण पत्र मांग रहा है। अब प्रमाण पत्र के चक्कर में नौजवान भटक रहे हैं।

बिहार में इंजीनियरों को सरकारी नौकरी मिलना क़रीब एक दशक से भी अधिक वक़्त से बंद है। असिस्टेंट इंजीनियरों की भर्ती कराने वालाBPSC2007के बाद से एक भी ज्वाइनिंग नहीं करा सका है।2011-12में भी एक बार वैकेंसी निकली थी. परीक्षा में गड़बड़ी की शिकायतें हुईं. धांधली के मामले दर्ज किए गए और रिजल्ट बार-बार अटकता गया. वो ज्वाइनिंग भी कभी नहीं कराई जा सकी। फिर2016 में असिस्टेंट इंजीनियर की बहाली के लिए विज्ञापन निकला।2017में दोबारा विज्ञापन निकाला गया। पहले प्री और फिर मेंस परीक्षा के लिए छात्रों को प्रदर्शन करना पड़ा। कई तारीख़ें बदलने और परीक्षाएं रद्द करने के बाद जुलाई 2019 में मेन्स की परीक्षा ली गई थी। जुलाई 2021 में फाइनल रिजल्ट आया, लेकिन 6 महीने बाद भी नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। अब चयनित अभ्यर्थी आर्थिक तंगी से गुजरने को मजबूर हैं।

इसी तरह बेल्ट्रॉन के डाटा एंट्री ऑपरेटर का हाल है। बेल्ट्रॉन द्वारा डाटा एंट्री ऑपरेटर के पोस्ट के लिए 2019 में परीक्षा ली गई। बेल्ट्रॉन में लगभग दो लाख आवेदन आए थे। एक आवेदन करने वाले से 1050 रुपए लिए गए थे। 2020 में बेल्ट्रॉन परीक्षा का रिजल्ट आया। 7311 अभ्यर्थियों को चयनित किया गया। विभिन्न विभागों में 2900 डाटा एंट्री ऑपरेटर रखे गए, बाकी 4411 चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं मिला है। जबकि बिहार में अभी तुरंत 11 हजार डाटा एंट्री ऑपरेटर की जरूरत है।

वहीं शिक्षक बहाली की प्रक्रिया भी 3 सालों में पूरी नहीं हो पाई है। लंबे प्रदर्शन के बाद छठे चरण की काउंसलिंग हो रही है। जिसमें 38 हजार अभ्यर्थियों का चयन हो गया है, लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला। 25 फरवरी को सभी शिक्षकों को एक साथ नियुक्ति देने का वादा किया गया है। वहीं सातवें चरण की बहाली को लेकर तारीखों की घोषणा नहीं की गई है और stet 2019 पास अभ्यर्थी शिक्षक बनने के इंतजार में हैं और ट्विटर पर अपनी मांग के साथ कैंपेन चला रहे हैं। जबकि बिहार में शिक्षकों के करीब 3 लाख पद खाली पड़े हैं।

साफ है रोजगार के नाम पर नेता चुनाव के वक्त वोट लेने के लिए तो लुभावने वादे करते हैं, लेकिन चुनाव के बाद चंद हजार नौकरियों के लिए नौजवानों की ज़िंदगी को सालों तक लटकाए रखते हैं और उन्हें सड़क पर उतरने को मजबूर होना पड़ता है।


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