वतन वापसी की गुहार : इथोपिया में यूपी और बिहार के 21 मजदूर बनें बंधक, परिजनों ने विदेश मंत्रालय से लगाई गुहार
बेगूसरायसे रोजी-रोटी की तलाश में अफ्रीका गए बिहार और उत्तर प्रदेश के 21 कामगारों को बंधक बना लिया गया है. वहां इथोपिया के यीशु पीएलसी ग्लैन सिटी में इन लोगों का वीजा और पासपोर्ट रखकर डेढ़ महीने से एक कैंपस में बंद कर दिया गया है. जिसके कारण घर के लोग परेशान हैं. बंधक बनाए गए बेगूसराय के अमित कुमार के परिजनों ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय से इन लोगों को वापस लाने की गुहार लगायी है.
बंधक बने मजदूरों ने वीडियो जारी कर लगाई गुहार
बंधक बनाए गए इन युवकों में एक युवक बेगूसराय जिले के बलिया प्रखंड क्षेत्र स्थित पहाड़पुर गांव निवासी स्व. श्याम देव पाठक का 34 वर्षीय पुत्र अमित कुमार है. बंधक बने मजदूरों ने एक वीडियो भी जारी किया है जिसमें वह अपने साथ हो रहे अत्याचार का जिक्र करते हुए वतन वापसी की गुहार लगा रहा है. अमित 15 दिसंबर 2022 को इथोपिया पहुंचा था, जहां की बंधक बनाए जाने के बाद उसके परिवार के लोग काफी परेशान हैं. भाई मुकेश कुमार दिल्ली में पीएमओ से लेकर विदेश मंत्रालय तक का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. मुकेश ने प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह, केंद्रीय मंत्री और हाजीपुर के सांसद चिराग पासवान और राज्यसभा सांसद प्रो. राकेश सिन्हा आवेदन देकर अपने भाई सहित अन्य बंधक बनाए गए सभी लोगों को वापस लाने की गुहार लग रहे हैं.
'विदेश मंत्रालय से वापस लाने का मिला आश्वासन'
मुकेश ने बताया कि विदेश मंत्रालय में आश्वासन दिया गया है कि इस मामले को अफ्रीका स्थित एंबेसी को फॉरवर्ड किया गया है. बड़े भाई मुकेश कुमार पाठक दिल्ली में तमाम बड़े कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं तो घर पर अमित की पत्नी, भाभी और भतीजे आश लगाए बैठे हैं कि कोई अमित को अफ्रीका से ला दे. अमित का डेढ़ वर्षीय एकलौता पुत्र अर्णव जिसने आज तक अपने पिता का मुंह नहीं देखा है. अमित की पत्नी ललिता ने बताया कि 2016 में हमारी शादी हुई थी. खर्च बढ़ने के बाद वे काम करने के लिए पुणे चले गए. कोरोना काल में गांव आ गए और अपने भाई मुकेश के साथ मिलकर घर पर ही मसाला बेचकर जीवन यापन कर रहे थे. इसी दौरान 2022 में कुछ लोगों से संपर्क हुआ, पता चला कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज निवासी विनोद त्रिपाठी इथियोपिया में एक सरिया फैक्ट्री (छड़ फैक्ट्री) में काम करने के लिए कुछ लोगों को भेजने वाले हैं तो अमित ने भी संपर्क किया.
'एग्रिमेंट खत्म होने के बाद भी कंपनी ने नहीं छोड़ा'
अमित की पत्नी ने बताया कि पासपोर्ट वीजा बनवाने के बाद 13 दिसंबर को घर से इथोपिया की ओर अमित रवाना हो गए. 15 दिसंबर को हुए इथोपिया पहुंच गए और सरिया फैक्ट्री में काम करने लगे. वह घर से कह कर गए थे की डेढ़ साल का एग्रीमेंट है, मैं घर आ जाऊंगा. जिस समय वह गए मैं गर्भवती थी, उनके जाने के ठीक 15 दिन बाद 28 दिसंबर को पुत्र अर्णव पैदा हुआ. अमित वहां से पैसा भी भेज देते थे, करीब 10 महीने पहले जब कंपनी ने पैसा देना बंद कर दिया तो किसी तरह 9 महीने तक वहां रहे. इस बीच बराबर कहते थे कि अब हम लोग घर चले जाएंगे, पैसा मांग रहे थे, लेकिन नहीं दिया.
'कैंपस में बंद कर दिया गया, नहीं दिया जा रहा खाना-पानी'
साथ ही अमित की पत्नी ने बताया कि करीब 2 महीने पहले फैक्ट्री में हादसा हो गया, जिसमें इनका एक साथी बुरी तरह से घायल हो गया तो सभी डर गए और घर जाने की जिद करने लगे. इस पर कंपनी के लोगों ने सभी का पासपोर्ट और वीजा ले लिया अब ना भोजन दे रहा हैं, ना पानी दे रहा है. एक कैंपस में सभी को बंद कर दिया गया है. बाहर निकालने की अनुमति नहीं है. एंबेसी से संपर्क करने नहीं दिया जा रहा है. कल हमारी वीडियो कॉल पर बात हुई तो बहुत परेशान थे. हम लोग सरकार से मांग कर रहे हैं कि कृपया मेरे पति को सही सलामत घर वापस ला दिया जाए. बंधक बने अमित के भाई मुकेश कुमार पाठक ने बताया कि डेढ़ महीना पहले भाई ने फोन किया कि बंधक बना लिया गया है, भोजन पानी नहीं दिया जा रहा है. हमारे भाई और उनके साथ फंसे सिवान, गोपालगंज, छपरा, शिवहर के अलावा उत्तर प्रदेश के जौनपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज के भी 20 लोग फंसे हुए हैं.