युवा बिहार कब तक रहेगा बेरोजगार? : युवा दिवस पर बिहार के युवाओं की गुहार, युवा बिहार कब तक रहेगा बेरोजगार?

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12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है

12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई जाती है। स्वामी विवेकानंद की जयंती को देश के युवाओं के नाम पर समर्पित करते हुए हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इस मौके पर नेता स्वामी विवेकानंद की तस्वीर पर फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि देने की तस्वीर तो खिंचाते हैं, लेकिन स्वामी विवेकानंद की जयंती को जिन युवाओं के नाम पर समर्पित कर युवा दिवस मनाया जाता है, उन युवाओं के बारे में क्या वही नेता गंभीर होते हैं। चुनाव के समय में 10 लाख, 20 लाख रोजगार के वादे करने वाले नेता क्या वाकई चुनाव बाद उन युवाओं के भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचते हैं। सवाल का जवाब समझने के लिए बिहार को ही लीजिए।

देश का सबसे युवा राज्य बिहार है

25 से कम उम्र की 57.2 फीसदी आबादी के साथ बिहार देश का सबसे युवा राज्य है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस) की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 57.4% पुरुष और 56.9% महिलाओं की उम्र 25 साल से कम है। जबकि देश में आधी से अधिक आबादी 25 साल या उससे अधिक उम्र की है। दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश और तीसरे नंबर पर झारखंड है।

युवा बिहार में बेरोजगारों की भरमार

विडंबना देखिए सबसे युवा राज्य होने के बाद भी बिहार में बेरोजगारों की भरमार है। रोजगार की तलाश में सबसे ज्यादा बिहार के युवा बेरोजगार ही है। इसका खुलासा नेशनल करियर सर्विस (National Career Service Portal) पोर्टल से हुआ है। दरअसल, इस पोर्टल पर रोजगार मांगने वालों में सबसे अधिक अधिक संख्या बिहार के युवाओं की है। यानी कि बिहार के युवा रोजगार मांगने में सबसे आगे हैं। एनसीएस (NCS) पोर्टल पर पंजीकृत बिहार के बेरोजगारों में सबसे अधिक प्रतिशत 18 साल से कम उम्र वालों की है। संख्या के आधार पर रोजगार मांगने वालों की संख्या सबसे अधिक 25 से 34 साल वाले युवा हैं। बिहार में 31 दिसंबर तक कुल 13 लाख 60 हजार 952 युवाओं ने एनसीएस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है। इन रजिस्टर्ड युवाओं में 19 लाख से ज्यादा पुरुष तो लगभग 3 लाख महिलाएं हैं। वहीं पिछले 5 सालों में बिहार में बेरोजगारी दर 4 गुनी बढ़ गई है। जनवरी 2016 में बेरोजगारी दर 4.4 थी, जबकि दिसंबर 2021 में ये बढ़कर 16 पर है। वहीं CMIE की जनवरी-अप्रैल 2021 की रिपोर्ट से यह पता चलता है कि बिहार में बेरोजगारी की मार सबसे ज्यादा ग्रेजुएट्स झेल रहे हैं। राज्य के 34.3 फीसदी ग्रेजुएट युवा बेरोजगार हैं। वहीं, 10वीं-12वीं पास वाले 18.5 फीसदी युवाओं के पास नौकरी नहीं है. बिहार में बेरोजगारी दर 16 फीसदी है। जो जनवरी 2016 के मुकाबले चार गुनी है।


3-4 साल में भी नहीं हो पाती है बहाली

साफ है बेरोजगारों की फौज बिहार में बढ़ती जा रही हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि बिहार में नौकरियों की कमी है, या विभागों में रिक्त पदों की कमी है। लेकिन सरकार और सिस्टम की उदासीनता और सुस्त रफ्तार के कारण पद खाली रह जाते हैं, लेकिन युवाओं को नौकरी नहीं मिलती। जिसका सबसे उदाहरण है शिक्षक बहाली।

3 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली, फिर भी बेरोजगार

बिहार में 3 लाख से ज्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं। सरकार के मुताबिक वर्तमान में खाली पदों की संख्या3,15,778 है। लेकिन बिहार में साल2015 के बाद से शिक्षकों की कोई भर्ती नहीं हुई।2011 से अभ्यर्थी टीईटी उत्तीर्ण कर बेरोजगार बैठे हुए हैं। टेट पास युवाओं द्वारा आंदोलन करने के बाद साल2019 में बिहार सरकार94 हजार शिक्षकों के पदों पर भर्ती निकालती है.2019 जुलाई में इस भर्ती की अधिसूचना जारी होती है.2019 के मध्य दिसंबर तक नियोजन पत्र बांट देना था. लेकिन इससे पहले ही इस भर्ती को लेकर कई विवाद होते हैं। कोर्ट केस और विवाद के कारण ये प्रक्रिया अटकती जाती है। 2021 में कोर्ट के आदेश के बाद फिर जब प्रक्रिया शुरु हुई, तो जुलाई तक 38 हजार अभ्यर्थियों का चयन हुआ। लेकिन फिर पंचायत चुनाव की दलील देकर नियोजन प्रक्रिया अधर में लटक गई। अब पंचायत चुनाव हो गए तो 17 जनवरी से काउंसलिंग शुरु होने की घोषणा की गई है और 25 फरवरी को एक साथ सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र देने का वादा किया गया है। लेकिन अब कोरोना की तीसरी लहर के कारण फिर से बहाली प्रक्रिया पर आशंका के बादल गहराने लगे हैं। जिसे लेकर अभ्यर्थी ट्विटर पर आवाज़ उठा रहे हैं और सवाल पूछ रहे हैं कि अगर चुनाव हो सकते हैं, तो शिक्षक बहाली क्यों नहीं। ज़ाहिर है अगर इस बार भी बहाली प्रक्रिया रुकती है, तो सब्र खो चुके अभ्यर्थियों का इंतजार और बढ़ेगा।

साफ है सरकार युवाओं के सब्र का इम्तिहान लेती रहती है, और इन्हीं युवाओं को चुनाव के वक्त नौकरियों के नाम पर घोषणाओं का लॉलीपॉप थमाकर वोट बटोरती है। बिना युवाओं को शिक्षित और रोजगार दिए स्वामी विवेकानंद को श्रद्धांजलि ढोंग और बेमानी ही मानी जाएगी।


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