वूमेंस डे स्पेशल : हौसले से हुनरमंद हो रही महिलाएं, बदल रही जिंदगी

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बगहा : बिहार में महिलाओं के उत्थान और विकास को लेकर कई सारे कार्यक्रम चलाये जा रहे है और इसका असर भी देखने को मिल रहा है,,,महिलाये आत्मनिर्भर बन रही है बात अगर सुदूर इलाके के आदिवासी गांव की हो तो ये पर भी अहम् हो जाता है ,,,,,दरअसल बगहा की थारू जनजाति की महिलाओं को भी विशेष प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर और सशक्त बनाया जा रहा है,,,,,दरअसल इकोग्रीन यूनिट के द्वारा इनकी जीवन खुशिया लाने का बेहतरीन प्रयास किया जा रहा है  । इसके तहत थारू महिलाओं को केला के रेशा और बांस की कमाची से कई उत्पाद बनाना सिखाया जा रहा है। जिसमें हैंड बैग, टोपी, झोली, चटाई समेत कई उत्पाद शामिल है ।

दरअसल केले की रेशे से उत्पाद बनाने की कला से इको ग्रीन यूनिट ने इन्हे ऐसा हुनरमंद बनाया है जो इन्हे आत्मनिर्भर और सबल सबल बना रहा है,,,,,ज़रा गौर से इन तस्वीरों को देखिये कैसे महिलाये इन रंग बिरंगे केले के रेशे को सुलझाने में लगी है,इससे इनकी जिंदगी की रह तो आसान हो ही रही है साथ ही इनके जीवन में खुशियों का रंग भी भर रहा है,,,, महिलाओं के एक समूह में 30 युवतियों को शामिल किया गया है,,,,इनका कहना है कि इन उत्पादों का वीटीआर आने वाले पर्यटकों के बीच काफी डिमांड है क्योकि ये इको फ्रेंडली भी है। ऐसे में ये उत्पाद आसानी से बिक भी जाते है ।

बगहा की सुदूर आदिवासी गांव की महिलाये जिस तरीके से प्रशिक्षण लेकर एक से एक उत्पादों का निर्माण कर रही है वो वाकई कबीले तारीफ है,,,,गांव के महिलाये जिस तरीके से हुनरमंद होकर अपने हुनर से एक ओर जहां आत्मनिर्भर और सबल बन रही है। वही दूसरो के लिए भी नज़ीर पेश कर रही है और महिला सशक्तिकरण की दिशा में मज़बूती से कदम बढ़ा रही है। ऐसे में इनके लिए कहा जा सकता है महिलाये मोहताज़ नहीं किसी गुलाब की वो खुद बागवान है इस कायनात की।

अमित सिंह की रिपोर्ट


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